अजमेर.
कॉलेजों को नियमों का पाठ पढ़ा रहे महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) के अपने हाल खराब हैं। परिसर में संचालित एलएलएम और हिंदी सहित कई कोर्स बदहाल है। इनमें ना स्थाई शिक्षक ना संसाधन हैं। यूजीसी (UGC), बार कौंसिल (bar council) और राज्य सरकार विद्यार्थियों से खिलवाड़ में जुटी है।
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विश्वविद्यालय ने सत्र 2006-07 में एलएलएम (LLM) पाठ्यक्रम शुरु किया। यहां प्रथम और द्वितीय वर्ष 40-40 सीट है। शुरुआत में पाठ्यक्रम में पर्याप्त प्रवेश नहीं हुए। विधि के बजाय दूसरे विभागों के शिक्षकों को यहां विभागाध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 2008 में राजस्थान विश्वविद्यालय के विधि शिक्षक प्रो. के. एल. शर्मा और लॉ कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. एस.आर. शर्मा को नियुक्त किया था। इनके जाते ही एलएलएम बदहाल हो गया। विधि विभाग (law dept) में कोई स्थाई शिक्षक नहीं है। लॉ कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. आर. एस. अग्रवाल कक्षाएं ले रहे हैं।
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नियमित नहीं आते विद्यार्थी
एलएलएम के अन्य विषय पढ़ाने के लिए यदा-कदा वकील या सेवानिवृत्त शिक्षक (retired teachers) आते हैं। ज्यादातर विद्यार्थी नियमित नहीं आते हैं। उनकी अटेंडेंस कागजों (papers) में ही पूरी हो रही है। एलएलएम पाठ्यक्रम की बदहाली से बार कौंसिल ऑफ इंडिया (bar council of india) भी चिंतित नहीं दिख रही। जबकि उसके नियम पार्ट-चतुर्थ, भाग-16 में साफ कहा गया है, कि विश्वविद्यालय और कॉलेज को एलएलएम कोर्स (llm course) के लिए स्थाई प्राचार्य, विषयवार शिक्षक और संसाधन जुटाने जरूरी होंगे।
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हिंदी विभाग भी बदहाल
हिंदी विभाग (hindi dpet) भी विश्वविद्यालय में बदहाल है। यहां राजस्थान पत्रिका की खबर पर कल्याण सिंह (kalyan singh) ने संज्ञान लेकर हिंदी विभाग खुलवाया। तीन साल से मातृभाषा हिंदी विभाग भी उधार के शिक्षक के भरोसे संचालित है। विभाग में कोई स्थाई प्रोफेसर, रीडर अथवा लेक्चरर नहीं है। ऐसा तब है जबकि देश-विदेश में हिंदी की लोकप्रियता बढ़ रही है।
पिछड़ा हुआ है पत्रकारिता विभाग
सर्वाधिक रोजगारोन्मुखी माना जाने वाला पत्रकारिता विभाग (journalism dept)भी पिछड़ा हुआ है। यहां दो-तीन पत्रकार ही कक्षाएं लेते हैं। विभाग में पिछले दस साल से स्थाई शिक्षक (teachers) नहीं है। विद्यार्थियों के लिए स्टूडियो, नामचीन पत्रकारों-विशेषज्ञों के व्याख्यान नहीं होते हैं।
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गेस्ट फेकल्टी के भरोसे…
विश्वविद्यालय में कुल 18 शिक्षक हैं। स्थाई शिक्षकों के अलावा सभी विभागों में गेस्ट फेकल्टी (guest faculty) कक्षाएं लेती हैं। गेस्ट फेकल्टी की संख्या तीन से चार तक हैं। जबकि यूजीसी (UGC) के कायदे से विश्वविद्यालय में विभागवार एक प्रोफेसर, तीन रीडर और चार लेक्चरर होने चाहिए।
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