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Motivational story : तैयारी की MBBS की और बन गए IAS

-अजमेर जिला कलक्टर विश्वमोहन शर्मा ने उजागर किए जीवन के कई अनछुए पहलू  

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युगलेश शर्मा

अजमेर.

तमाम व्यस्तताओं के बावजूद वे बैडमिंटन, क्रिकेट, संगीत, फिल्म, धारावाहिक और योग-व्यायाम के लिए समय निकाल ही लेते हैं। पढ़ाई छूटे काफी समय हो गया लेकिन किताबें पढऩे का शौक आज भी बरकरार है। प्रशासनिक काम-काज के लिए अपने आपको फिट रखने के लिए वे फुर्सत के श्रणों में यह सभी शौक पूरे करने की कोशिश करते हैं ताकि तनावमुक्त होकर ऑफिस का कार्य कर सकें। हम बात कर रहे हैं अजमेर के जिला कलक्टर आईएएस अधिकारी विश्वमोहन शर्मा की। राजस्थान पत्रिका से खास बातचीत में उन्होंने अपने जीवन के कई अनछुए पहलुओं को उजागर किया। पेश है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश।

 

पत्रिका : फिट रहने के लिए आपके क्या करते हैं?

शर्मा : मैं सुबह 6 बजे उठ जाता हूं। मोर्निंग वॉक और योग-व्यायाम नियमित करता हूं ताकि तनाव मुक्त रहूं। साइकिलिंग बहुत अच्छा एक्सराइज है। साइकिल चलाने से आपकी मासपेशियां मजबूत होती है और पैरों की एक्सरसाइज हो जाती है। जब भी समय मिलता है, मैं साइकिल चलाता हूं।

 

पत्रिका : कोई खास शौक?

शर्मा : मुख्यत: बैडमिंटन खेलना मुझे काफी पसंद है। साथ ही क्रिकेट और फुटबॉल भी पसंदीदा खेल रहे हैं। क्रिकेट और फुटबॉल वल्र्ड कप भी आनंद लेकर देखता हूं। इसके अलावा संगीत का भी काफी शौक है। जब भी समय मिलता है, किशोर कुमार और मोहम्मद रफी व कुमार सानू के गीत सुनना पसंद करता हूं।


पत्रिका : फेवरेट हीरो-हिरोइन?

शर्मा : पुराने अभिनेताओं में राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन और माधुरी दीक्षित मेरे फेवरेट रहे हैं। वर्तमान हीरो-हिरोइन में राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर का अभिनय काफी पसंद आता है।

 

पत्रिका : पसंदीदा फिल्म और धारावाहिक?

शर्मा : फिल्म बरेली की बर्फी मुझे काफी पसंद आई। यह एक मध्यम परिवार की कहानी है और राजकुमार राव ने बहुत अच्छा अभिनय किया है। मैंने बत्ती गुल मीटर चालू लास्ट फिल्म देखी थी। उसके बाद समय नहीं मिल पाया। समय मिलता है तो धारावाहिक भाभीजी घर पर है और हप्पू सिंह की उलटन-पलटन देख लेता हूं।

 

पत्रिका : आईएएस बनना क्यों पसंद किया?

शर्मा : आईएएस बनने की प्रेरणा मूलत: परिवार से ही मिली। बचपन से ही एक जुनून था कि सिविल सर्विसेज में जाना है। जेएनयू में मुझे काफी अच्छा मार्गदर्शन मिला। वहां जाने के बाद ही मैंने यह दिशा तय की और क्वालीफाई किया।

 

पत्रिका : जीवन में कोई मलाल रहा हो?

शर्मा : मैंने मेडिकल प्रतियोगिताओं की बहुत तैयारी की थी, क्योंकि पिताजी भी डॉक्टर थे। मेडिकल में क्वालीफाई नहीं कर पाया। यही एक मलाल रहा है।

 

पत्रिका : दिनचर्या क्या है?

शर्मा : मोर्निंग वॉक और योग-व्यायाम के बाद ऑफिस के पैंडिंग कार्य ऑफिस आने से पहले घर में ही पूरे करने की कोशिश करता हूं। उसके बाद कार्यालय आ जाता हूं। घर जाने के बाद परिवार को समय देता हूं। चार साल की बेटी वरालिका के साथ मेरा अच्छा समय बीतता है। धर्मपत्नी सुदीप कौर (डीएफओ, अजमेर) के साथ बातचीत करता हूं। कोशिश रहती है कि उतना ही समय परिवार को भी जितना में कार्यालय में अपने कत्र्तव्यों को देता हूं।

 

पत्रिका : प्रारम्भिक पढ़ाई?

शर्मा : हम मूलत: उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। पिताजी ऑल इंडिया लिमिटेड में चीफ मेडिकल ऑफिसर रहे हैं। उनके रिटायरमेंट के बाद हम झारखंड में रहने लगे। बीएससी तक की पढ़ाई झारखंड में ही हुई। एमएससी और एमफिल जेएनयू से किया। वहीं रह कर सिविल सर्विस की तैयारी की और कामयाब हुआ।


पत्रिका : परिवार के साथ किस तरह सामंजस्य बैठा पाते हैं?

शर्मा : हमारी अरेंज मैरिज हुई है। दोनों सरकारी नौकरी में हैं तो बहुत अच्छा सामंजस्य बैठता है। दोनों एक ही सिटी में भी हैं तो बहुत सारी चीजें हम आपस में चर्चा करके सोल्व कर लेते हैं। दोनों के नौकरी में होने से हम एक दूसरे की मजबूरियां भी अच्छे से समझते हैं कि परिवार के लिए बहुत ज्यादा समय निकाल पाना कभी कभी मुश्किल होता है।

 

पत्रिका : पसंदीदा पुस्तक?

शर्मा : पर्यावरण से संबंधित पुस्तकों में मेरी रूचि रही है। रिचेल मार्शल की पुस्तक साइलेंट स्पिंक्स हृदय को छूने वाली पुस्तक है। इस पुस्तक के बाद पक्षियों को बचाने के लिए एक जागृति आई। यह पुस्तक मुझे बहुत अच्छी लगी।

 

पत्रिका : कोई सपना?

शर्मा : अजमेर शहर को सीवरेज की समस्या से मुक्त करने का सपना है। सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट में कोई ऐसा कार्य करें कि शहर साफ सुथरा नजर आए और पर्यटकों की आवक बढ़े।

 

पत्रिका: बड़ी चुनौती क्या है?
शर्मा : पानी की समस्या का समाधान करना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए कुछ प्लान बनाए हैं जो राज्य सरकार को भेजेंगे। उम्मीद करते हैं कि पानी की समस्या का जल्द समाधान कर सकें।

 

पत्रिका : युवाओं के लिए कोई टिप्स?

शर्मा : अपने लक्ष्य को निर्धारित कर उसे कैसे हासिल करना है, इसी पर फोकस रखें। सोशल मीडिया से फायदा और नुकसान दोनों होते हैं लेकिन उसकी पॉजीटिव पहलु पर ही ध्यान दें। नशे की लत से दूर रहें। स्वास्थ्य पर ध्यान दें।

 

अजमेर के जनप्रतिनिधि सुलझे हुए

सिविल सर्विस में आमतौर पर अधिकारियों को राजनीतिक दखलंदाजी झेलनी पड़ती है लेकिन अजमेर के जिला कलक्टर विश्वमोहन शर्मा इससे कोई इत्तेफाक नहीं रखते। उनका मानना है कि अजमेर के जनप्रतिनिधि काफी सुलझे हुए और कुशल राजनेता हैं। किसी तरह का कोई दबाव उन्होंने आज तक नहीं बनाया।

 

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