बांसवाड़ा. बांसवाड़ा-उदयपुर मार्ग की आबोहवा इन दिनों शीत ऋतु में गुड़ की मिठास से महक रही है। इस मार्ग पर गन्ना उत्पादक किसान गुड़ तैयार कर रहे हैँ। देशी तरीके से मशीनों का उपयोग किए बिना तैयार किए जा रहे इस गुड़ की हाथों-हाथ खरीदारी भी हो रही है, जो उत्पादकों के लिए आय का प्रमुख माध्यम बन गई है।
जिले में विशेष रूप से उदयपुर मार्ग पर आने वाले बड़लिया, ईसरवाला, चांदाखेड़ी, सुंदनी और आसपास के कई किसान गन्ने की फसल करते हैँ। हालांकि जिले में गन्ना उत्पादन का रकबा बड़ा नहीं हैं। खरीफ और रबी दोनों सीजन में किसान गन्ने की खेती करते हैं। अभी खरीफ में की गई फसल का उपयोग हो रहा है। वहीं रबी में भी जिले में 107 हैक्टेयर में ही किसानों ने गन्ने की बुवाई की है। सामान्य बिक्री के साथ ही गन्ने का उपयोग किसान इसका रस निकालकर गुड़ तैयार करने में करते हैं, जो किसानों के लिए आय का अतिरिक्त स्रोत बना हुआ है।
कड़ाहों में उबल रहा रस
उदयपुर मुख्य मार्ग पर ईसरवाला, सुंदनी और अन्य स्थान पर सड़क किनारे इन दिनों जगह-जगह बड़े कड़ाहों में गन्ने का रस उबल रहा है। इससे उठने वाली भीनी-भीनी मीठी महक हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। कड़ाहों में उबलने के बाद तैयार होते गुड़ की इस मार्ग से आवाजाही करने वाले तो हाथों-हाथ खरीदारी कर ही रहे हैं, आसपास के गांवों सहित शहर से भी लोग देशी गुड़ खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं।
गर्म गुड़ का भी रसास्वादन
इन स्थानों पर पहुंचने वाले लोग गर्म गुड़ का भी रसास्वादन कर रहे हैं। गुड़ उत्पादक ईसरवाला के धूलजी भाई ने बताया कि वे प्रतिवर्ष गन्ना उत्पादन के बाद गुड़ तैयार करते हैं। इसमें किसी प्रकार का कोई रसायन नहीं मिलाया जाता है। गन्ने के रस को ही उबाला जाता है और इससे तैयार होने वाला गुड़ लोग तुरंत खरीद लेते हैं। रबी व खरीफ की फसल से होने वाली आय के अतिरिक्त गन्ने की खेती के बाद गुड़ की बिक्री भी आर्थिक रूप से मददगार साबित हो रही है।