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रेलवे के अमानती गृह में डेढ़ करोड़ रखे होने की फैली खबर, जांच में सामने आए चौकाने वाले तथ्य, देखें वीडियो

- जीआरपी कटनी अंतर्गत आने वाले मैहर रेलवे स्टेशन में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां के अमानतीगृह में डेढ़ करोड़ रुपए एक थैले में रखे होने की खबर फैली। - सूचना पर रेलवे, जीआरपी व आरपीएफ के अधिकारी जांच के लिए पहुंचे, हालांकि जांच के दौरान महज कागज के टुकड़े निकले। - अब जीआरपी यह पता लगाने में जुट गई है कि किस शरारती तत्व द्वारा यह हरकत की गई है।

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कटनी

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Balmeek Pandey

Oct 20, 2019

कटनी. जीआरपी कटनी अंतर्गत आने वाले मैहर रेलवे स्टेशन में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां के अमानतीगृह में डेढ़ करोड़ रुपए एक थैले में रखे होने की खबर फैली। सूचना पर रेलवे, जीआरपी व आरपीएफ के अधिकारी जांच के लिए पहुंचे, हालांकि जांच के दौरान महज कागज के टुकड़े निकले। अब जीआरपी यह पता लगाने में जुट गई है कि किस शरारती तत्व द्वारा यह हरकत की गई है। जानकारी अनुसार शनिवार की सुबह लगभग 11 बजे यह खबर फैली की मैहर के अमानती गृह में बने लॉकर में एक बैग रखा हुआ है। इसमें डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक रखे हुए हैं। इसकी सूचना पर मंडल वाणिज्य प्रबंधक देवेश सोनी, आरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट एसएल हंसला व जीआरपी थाना प्रभारी कटनी डीपी चढ़ार टीम के साथ जांच के लिए शाम 4 बजे मैहर पहुंचे।

 

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बंडलों में निकले कागज के टुकड़े
जांच के दौरान पाया कि बैग 24 जुलाई से यहां पर रखा हुआ है। पुनासा डेम खंडवा निवासी बालकदास नामक व्यक्ति द्वारा थैला जमा किया गया। इस बैग को फिर लॉकर में रख दिया गया था। बैग को तीन माह बाद भी न ले जाने पर चीफ बुकिंग पार्सल सुपरवाइजर लक्ष्मी अहिरवार सहित अन्य कर्मचारियों ने देखा। बताया गया कि उसमें रुपये जैसे जान पड़े। तत्काल आरपीएफ, जीआरपी, स्टेशन मास्टर को सूचना दी। जिसके बाद जांच शुरू हुई। सभी अधिकारियों की मौजूदगी में बंडलों को खोला गया। इसमें कागज के पैकेट निकले। बंडल में सत्यमेव जयते लिखा हुआ व मोना बना था। साथ ही ट्रेजरी के कुछ दस्तावेज मिले हैं।

 

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यह है नियम
जब भी कोई यात्री अमानती गृह में सामान रखता है तो उसे लॉकर मिलता है। जिसकी चॉबी वह स्वयं ले जाता है। अमानती सामान गृह में सामग्री उसी शर्त पर रखते हैं जब उसमें ताला लगा हो। यात्रा का टिकट हो। इसकी रसीद मिलती है। वापस रसीद दिखाने व शुल्क जमा करने के बाद सामान वापस यात्री को दे दिया जाता है। सात दिन तक स्टेशन में रखा रहता है। 8वें दिन मंडल कार्यालय भेज दिया जाता है। लॉकर में भी यही नियम लागू होता है। खोलकर देखने का कोई प्रावधान नहीं है। आरपीएफ, कॉमर्शियल और जीआरपी टीम की मौजूदगी में ही उसकी जांच होती है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

 

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इनका कहना है
सीबीपीएस लक्ष्मी अहिरवार की सूचना पर डीसीएम और आरपीएफ असिसटेंट कामंडेंट के साथ जांच करने के लिए पहुंचे थे। किस व्यक्ति द्वार बैग रखा गया उसकी आइडी नहीं जमा कराई गई। सिर्फ बालकदास नाम लिखा है। हालांकि पीएनआर नंबर मिला है। जांच शुरू कर दी गई है। जांच में रुपये नहीं बल्कि कागज के टुकडे मिले हैं।
डीपी चड़ार, टीआइ जीआरपी।