निगम ने नगरीय क्षेत्र में डॉग बाइट पर नियंत्रण के लिए डॉग लवर्स, स्क्वॉड, एवं विशेषज्ञों संयुक्त रूप से किया संवाद कर मशविरा किया है। विशेषज्ञों ने कहा कि डॉग शहर की गलियों में टेरिटरी बनाते हैं। इसे तोड़ने के लिए प्रयास करें। जनसंख्या नियंत्रण पर भी प्रयास करना होगा।
जनसंख्या नियंत्रण पर प्रयास करना होगा
शहरी क्षेत्र की गलियों में स्ट्रीट डॉग्स की ‘ टेरिटरी ’ पर नियंत्रण की तैयारी है। शनिवार को विशेषज्ञों ने संवाद के साथ मंथन किया। निगम सभागार में डॉग बाइट अवेयरनेस एवं नियंत्रण विषय पर कार्यशाला हुई। अध्यक्षता उप आयुक्त एसआर सिटोले ने की। पशु विशेषज्ञों और डॉग लवर्स और डॉग स्क्वॉयड के बीच सीधा संवाद हुआ। इस दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि स्ट्रीट डॉग्स की जनसंख्या नियंत्रण पर हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। गली स्तर पर एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत जरूरी है।
नर कुत्तों की तत्काल नसबंदी की जाए
पशु चिकित्सक डॉ नवीन तिवारी ने कहा कि हर गली में स्ट्रीट डॉग्स की एक निश्चित सीमा होती है जिसे ‘ टेरिटरी ’ कहते हैं। नागरिक को अपनी गली के स्ट्रीट डॉग्स की सूची तैयार करनी होगी। इसमें नर व मादा कुत्तों की जानकारी स्पष्ट रूप से अंकित हो। इसकी जानकारी निगम को सौंपी जाए। नर कुत्तों की तत्काल नसबंदी हो। नियोजित कार्यक्रम के अनुसार मादा कुत्तों की भी नसबंदी करें। 6 माह से 1 वर्ष की अवधि में उस टेरिटरी में स्ट्रीट डॉग्स की जनसंख्या वृद्धि पर प्रभावी नियंत्रण हो सकता है।
नागरिकों की जिम्मेदारी भी निर्धारित
पशु विशेषज्ञ डॉ. अक्षय निगम ने कहा भारतीय दंड संहिता की धारा 291 में, यदि कोई व्यक्ति घर के बाहर नियमित रूप से किसी स्ट्रीट डॉग को भोजन देता है। वह कुत्ता वहीं अपनी टेरिटरी बना लेता है। उस कुत्ते का मालिक वही व्यक्ति माना जाएगा। ऐसी स्थिति में यदि कुत्ता किसी अन्य व्यक्ति को काट लेता है, इसकी जवाबदेही भोजन देने वाले की होगी। इसलिए नागरिकों को सुझाव दिया गया कि वे स्ट्रीट डॉग्स को भोजन अवश्य दें। किंतु ऐसे स्थान पर दें जहां जन चहल-पहल कम हो। जैसे कि कॉलोनी के प्रवेश या निकास द्वार पर। इससे न तो लोगों को परेशानी होगी और न ही कानूनी जिम्मेदारी।
डॉग बिहेवियर जागरूकता का सुझाव
-पशु विशेषज्ञ डॉ. तिवारी ने उप आयुक्त को सुझाव दिए कि कचरा गाडिय़ां प्रतिदिन डॉग साइकोलॉजी एवं बिहेवियर से संबंधित जानकारी का प्रचार करें। प्रभावी माध्यम सिद्ध होगा। इससे जनमानस में डॉग्स के व्यवहार को लेकर सही समझ विकसित होगी। उनके प्रति संवेदनशीलता भी बढ़ेगी।