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वीडियो : पॉली हाउस लगाकर 4 हजार वर्ग मीटर में किसान कमा रहे 8 से 10 लाख रुपए सालाना

उद्यान विभाग नागौर के उप निदेशक डॉ. मोहन दादरवाल से विशेष बातचीत

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नागौर. कृषि के क्षेत्र में हो रहे नवाचार एवं आधुनिक तकनीकी का उपयोग किसानों को समृद्ध बना रहा है। नागौर जिले में समय के साथ भूजल स्तर में आई गिरावट व सरकार की ओर से आधुनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए चलाई गई विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर किसान नई इबारत लिख रहे हैं। जिले में पिछले कुछ वर्षों से जागरूक किसान परम्परागत खेती को छोडकऱबागवानी/उद्यानिकी की ओर अग्रसर हो रहे हैं। इसमें पॉली हाउस व शेडनेट हाउस की स्थापना कर कम जगह में अधिक उत्पादन लेकर किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। हालांकि सरकार की ओर से यह योजना काफी समय से चलाई जा रही है, लेकिन इसका लाभ जितना जयपुर व आसपास के जिलों के किसानों ने जितना लाभ उठाया है, उनकी तुलना में नागौर के किसानों ने नहीं उठाया है। पॉली हाउस में विशेष बात यह है कि लघु सीमांत किसान को 95 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। किसानों को पॉली हाउस के बारे में अधिक जानकारी देने के लिए हमने उद्यान विभाग नागौर के उप निदेशक डॉ. मोहन दादरवाल से विशेष बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश –

प्रश्न : पॉली हाउस योजना क्या है?

उत्तर : पॉली हाउस एक संरक्षित खेती की योजना है, जिसके अंदर तापमान व आद्र्रता आदि को नियंत्रित करके खेती की जाती है। पॉली हाउस में संबंधित फसल के अनुरूप वातावरण तैयार कर फसल को उगाया जाता है, जबकि बाहर उससे अलग है। यानी पॉली हाउस में प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कृषि की जाती है। इसलिए इसे प्रोटेक्टेड खेती की श्रेणी में लिया जाता है।

प्रश्न : पॉली हाउस में आमतौर पर किसकी खेती की जाती है?

उत्तर : पॉली हाउस में आमतौर पर खीरा, शिमला मिर्च के साथ फूल वाली फसलें उगाई जाती हैं। नागौर में खीरा मुख्य रूप से उगाया जा रहा है।

प्रश्न : नागौर में अब तक कितने पॉली हाउस स्थापित हो चुके हैं?

उत्तर : नागौर जिले में सरकारी अनुदान के सहयोग से अब तक करीब 60 पॉली हाउस व शेडनेट हाउस स्थापित हो चुके हैं।

प्रश्न : पॉली हाउस को लेकर किसानों में किस प्रकार का रुझान देखा जा रहा है?

उत्तर : पॉली हाउस को लेकर किसानों में अच्छा रुझान है। इसी का परिणाम है कि यहां करीब 200 आवेदन लम्बित हैं।

प्रश्न : एक पॉली हाउस लगाने पर कितनी लागत आती है और इसमें कितना अनुदान मिलता है?

उत्तर : एक पॉली हाउस स्थापित करने में लगभग 42 लाख 19 हजार रुपए की लागत आती है, जिसमें किसान की हिस्सा राशि लगभग 10 लाख, 12 हजार रुपए हैं। लघु सीमांत किसान को 95 प्रतिशत अनुदान मिलता है, जो करीब 32 लाख, 7 हजार रुपए बनता है।

प्रश्न : पॉली हाउस में एक साल में कितनी फसलें ले सकते हैं?

उत्तर : सामान्यत: एक पॉली हाउस में साल में दो फसलें ले सकते हैं। जिनसे किसान 8 से 10 लाख रुपए कमा सकता है।

प्रश्न : पॉली हाउस और शेडनेट में क्या अंतर है?

उत्तर : पॉली हाउस में पूरी तरह एनवायरमेंट कंडिशन कंट्रोल रहती है। वहीं शेडनेट में तापमान कंट्रोल नहीं होता। शेडनेट के निर्माण में खर्च भी कम आता है और उत्पादन भी कम होता है।

पत्रिका : एक पॉली हाउस लगाने के लिए कम से कम कितनी जमीन चाहिए?

उत्तर : अब तक एक पॉली हाउस लगाने के लिए 4 हजार वर्ग मीटर की आवश्यकता रहती थी, लेकिन अब सरकार ने मॉडल कलक्टर योजना चलाई है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस योजना का लाभ मिले। इसमें पॉली हाउस के क्षेत्र को 4 हजार वर्ग मीटर से कम करके 2 हजार वर्ग मीटर का किया गया है, ताकि एक की जगह दो किसान लाभान्वित हो सके।

प्रश्न : नागौर के किसानों को तकनीकी जानकारी कम है, इसके लिए विभाग क्या कर रहा है?

उत्तर : समय-समय पर किसानों को जयपुर भेजकर दुर्गापुरा में विशेषज्ञों से प्रशिक्षण दिलवा रहे हैं। इसके साथ विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों की ओर से नागौर में भी किसानों को पॉली हाउस में खेती की जानकारी दी जाती है। फिर भी किसान प्रेक्टिकल से ज्यादा सीखता है, इसके लिए जयपुर के आसपास के किसान ज्यादा ट्रेंड हैं। पॉली हाउस लगाने वाले किसान एक-दो साल उनका सहयोग लेकर पॉली हाउस की खेती की बेहतर तरीके से जानकारी ले सकते हैं।