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Once Upon A Time: सहारनपुर में होती थी ट्रेन के भाप वाले इंजन की मरम्मत, आज भी हैं एक्सपर्ट

सुपरहिट फिल्म 'शाेले' व 'गदर एक प्रेमकथा' में आपने भाप के इंजन ताे देखे ही हाेंगे। आज हम आपकाे पत्रिका के विशेष प्राेग्राम Once Upon A Time में दिखाने जा रहे हैं सहारनपुर का भाप इंजिन कनेक्शन।

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सहारनपुर। पत्रिका के विशेष कार्यक्रम Once Upon a Time में आज हम बात करेंगे ट्रेन के भाप वाले इंजनों की। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भाप के इंजन 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकते थे और सहारनपुर में रेलवे का एक बड़ा वर्कशॉप था जहां पर भाप के इंजनों की मरम्मत हुआ करती थी।

सहारनपुर वर्कशॉप में 90 से अधिक भाप के इंजन थे और इनमें मेल ट्रेनों के इंजन भी शामिल थे यानी जो अधिक रफ्तार वाली ट्रेनें थी उनके जो बड़े भाप के इंजन थे उनकी मरम्मत भी सहारनपुर की वर्कशॉप में ही हुआ करती थी। आज भी सहारनपुर रेलवे स्टेशन पर भाप के इंजनों की वर्कशॉप की इमारत खड़ी हुई है लेकिन अब इसका उपयोग माल गाड़ियों को खड़े करने ट्रेनों की पावर यानी इंजन को खड़े करने के लिए किया जाता है।

आज हम उसी गुजरे जमाने की बात करेंगे जब सहारनपुर में भाप के इंजन हुआ करते थे और यहां वर्कशॉप में उनकी मरम्मत हुआ करती थी जब हम रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो यहां हमें पुरानी इमारत मिली लेकिन तभी कुछ स्टाफ वहां हमें लोगों का मिला जो उस वर्कशॉप में काम किया करता था। हमने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि वह इंजन 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकते थे। खास बात यह थी कि भाप के इंजन को एक साइड से ही चलाया जा सकता था।

आज-कल जो ट्रेन के इंजन है वह दोनों ओर से चलते हैं लेकिन भाप का इंजन एक साइड से ही चलता था क्योंकि उसमें एक हिस्से में कोयला भरा होता था और एक हिस्सा ही उसका वाहनों की तरह कार और बस की तरह चलता था। तब सहारनपुर वर्कशॉप में ही एक घूमने वाली पटरी हुआ करती थी और उस पटरी पर इंजन को ले जाने के बाद चार कर्मचारी मैनुअल तरीके से उस धुरी को घुमाया करते थे और फिर उस इंजन का मुंह दूसरी तरफ हो जाया करता था।

यह गुजरे जमाने की बातें थी अब तो ट्रेन के इंजन दोनों ओर से चलते हैं और दोनों ही औ ट्रेन के इंजन दोनों ओर से चलते हैं और दोनों ही ओर इंजन पूरी रफ्तार से दौड़ते हैं। कश्मीर में आज भी जाते हैं सहारनपुर से इंजीनियर आईआरसीटीसी ने कुछ इंजनों को सैलानियों के लिए आज भी चलाया हुआ है यह इंजन कश्मीर में चलते हैं और इनकी मरम्मत के लिए सहारनपुर से ही इंजीनियर जाते हैं।

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उत्तर प्रदेश के अंतिम जिला सहारनपुर में आज भी भाप के इंजन वाला वह शेड मौजूद है जहां पर कभी 1000 से अधिक स्टाफ काम किया करता था। 1 अगस्त 1994 में इस शेड को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। यहां आज भी भाप के इंजन के एक्सपर्ट मैकेनिक oldest steam engine driver of india मौजूद हैं। जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि शेड के बंद होने के बाद भी लखनऊ के चारबाग स्टेशन से दो भाप के इंजन सहारनपुर भिजवाए गए थे। उन दाेनाें इंजिन काे यहां पर रिपेयर किया गया था हालांकि आज इस शेड में मालगाड़ी और दूसरी पावर यानी ट्रेन के इंजन को रोका जाता है और यह शेड अब पूरी तरह से बदल चुका है लेकिन आज भी यहां भाप के इंजन की यादें जिंदा हैं।
सहारनपुर रेलवे स्टेशन अधीक्षक कपिल शर्मा बताते हैं कि आज भी इंटरनेट पर वह तस्वीरें सर्च की जा सकती हैं जब सहारनपुर में भाप के इंजन हुआ करते थे। उन्होंने कुछ कलेक्शन अपने ऑफिस में भी लगाया हैं जाे भाप के इंजिन की याद दिलाते हैं। पूछने पर उन्होंने बताया कि सहारनपुर रेलवे स्टेशन पर लकड़ी के पुल के नीचे वह शेड हुआ करता था जहां पर भाप के इंजनों steam engines की मरम्मत होती थी।

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