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BIG ISSUE: गजब है ASI…यहां ताले में बंद है शिवलिंग फिर भी मंदिर नहीं मस्जिद किया घोषित

BIG ISSUE: मंदिर के पुनर्निर्माण में खुदाई में दुर्गा, गणेश, ब्रम्हा, विष्णु, शिवजी, सप्त मातृकाएं और यक्ष समेत तमाम देव प्रतिमाएं निकलीं और अभी भी वहीं रखी हैं इसके बावजूद उस मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कलेक्टर को भेजे पत्र में मस्जिद करार दिया है।

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VIJAY MANDIR VIDISHA

BIG ISSUE: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भी गजब है। मामला विदिशा का है जहां विजय मंदिर को खोलने के मुद्दे को दबाने के लिए एएसआई अपने ही शब्दों और लेखों से मुकर रहा है। विशाल और भव्य विजय मंदिर का 11 वीं शताब्दी में पुनर्निर्माण किया गया। जिसकी खुदाई में दुर्गा, गणेश, ब्रम्हा, विष्णु, शिवजी, सप्त मातृकाएं और यक्ष समेत तमाम देव प्रतिमाएं निकलीं और अभी भी वहीं रखी हैं, उस मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कलेक्टर को भेजे पत्र में मस्जिद करार दिया है।

बोर्ड में लिखा है विजय मंदिर अब बता रहे मस्जिद

हद तो यह है कि बीजा मंडल परिसर में लगे एएसआई के बोर्ड और उसी परिसर में बने संग्रहालय में लगे फ्लैक्स में खुद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यह स्वीकार कर रहा है कि यह विजय मंदिर है, विजया देवी का मंदिर है और यह भी एएसआई ने लिखा है कि इस मंदिर का निर्माण परमार शासक ने 11 वीं शताब्दी में किया था, जिसे 1682 में औरंगजेब ने खंडित कर उस पर मस्जिद बनवा दिया। एएसआई यह भी लिखता है कि इस मंदिर की दीवार से 1186 ईसवी का राजा उदयवर्मन का भी अभिलेख मिलता है। लेकिन जब हिन्दू संगठनों ने पूजा के लिए मंदिर का ताला खोलने के लिए आवाज उठाई तो एएसआई ने कलेक्टर को पत्र भेजकर अपने ही लिखे लेख को गलत साबित करते हुए यह जवाब दिया कि बीजामंडल मस्जिद एक राष्ट्रीय संरक्षक स्मारक है। इस परिप्रेक्ष्य में अब विधायक भी सामने आ गए हैं।


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पढ़ो क्या लिखा है विजय मंदिर में…

बीजा मंडल (विजय मंदिर)परिसर की खुदाई में जो प्रतिमाएं निकलीं उन्हें परिसर में ही संग्रहालय बनाकर डिस्प्ले किया गया है। यहां महिषासुर मर्दिनी, देवी की अनेक प्रतिमाएं, गणेश जी, शिवजी सहित अनेक देवी-देवताओं की प्रतिमाएं मौजूद हैं। यहीं पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बीजा मंडल की जानकारी देने वाला एक फोटो दीवार पर लगा रखा है, जिसमें एएसआई क्या कहता है इस पर साफ पढ़ा जा सकता है।

मजिस्द है तो ये मूर्तियां परिसर में से कैसे निकलीं ?

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यहां करीब 51 साल पहले उत्खनन कराया था। उस समय यहां से सैंकड़ों प्रतिमाओं और मंदिर के अवशेष निकले थे। उन्हीं अवशेषों में से तमाम देवी देवताओं की प्रतिमाएं बीजा मंडल के परिसर में ही बने संग्रहालय और पूरे परिसर में आज भी बिखरी पड़ी हैं। यदि एएसआई अपनी ही बात से मुकर रहा है, खुद मंदिर लिखकर रिकार्ड में मस्जिद बता रहा है तो फिर यह भी बताया जाना चाहिए कि मंदिर की खुदाई में ये प्रतिमाएं कैसे निकलीं। जिस हिस्से को मस्जिद मानकर अब भी ताला डाल रखा है उसमें कम से कम 10 शिवलिंग की जलहरी क्यों कैद हैं?


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एएसआई का तुगलकी फरमान आहत करने वाला

एएसआई द्वारा कलेक्टर को भेजे गए ज्ञापन के जवाब में नगर के युवा हिन्दुओं ने शुभम वर्मा के नेतृत्व में फिर कलेक्टर को ज्ञापन देकर कहा है कि एएसआई का तुगलकी फरमान जिसमें विजय मंदिर को मस्जिद बताया गया है, वह आहत करने वाला है। ज्ञापन में मांग की गई है कि 9 अगस्त नागपंचमी को मंदिर का ताला खोलकर चिन्हित पांच-छह लोगों को ही सही पूजा की अनुमति दी जाए। इसके बाद फिर एएसआई एक बार फिर से सर्वे कर यह निर्णय ले कि ये मंदिर है या कुछ और।

विधायक ने कहा- पूजन की अनुमति मिले

विदिशा विधायक मुकेश टंडन विजय मंदिर मुक्ति अभियान समिति के अध्यक्ष भी हैं। टंडन ने इस मसले को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदिशा सांसद शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन भेजकर विजय मंदिर में पूजन की अनुमति देने और एएसआई के रिकार्ड से विजय मंदिर के लिए मस्जिद शब्द हटवाने की मांग की है। बता दें कि टंडन वर्षों से नागपंचमी पर बंद ताले में ही विजय मंदिर में पूजा करते आ रहे हैं।

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