
विदिशा. मध्यप्रदेश में वैसे तो स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की तस्वीरें लगातार सामने आती रहती हैं लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य विभाग की एक ऐसी बड़ी लापरवाही सामने आई है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। मामला विदिशा जिले का है जहां अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज में भर्ती एक कोरोना मरीज को डॉक्टर्स ने दो बार मृत घोषित कर दिया। लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि जिस मरीज को डॉक्टर दो बार मरा हुआ बता चुके हैं दरअसल वो असलियत में जिंदा है अभी भी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है।
2 बार घोषित हुआ मरीज अब भी जीवित
विदिशा जिले के सुल्तानिया के रहने वाले गोरेलाल नाम के एक मरीज को कोरोना पॉजिटिव होने के बाद विदिशा के अटल बिहारी वाजपेयी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उसका इलाज चल रहा था इसी दौरान 13 अप्रैल को अस्पताल के डॉक्टर ने गोरेलाल के परिजन को उनकी हालत गंभीर होने के बारे में बताया और फिर उसी रात करीब ढाई बजे उनके निधन की सूचना परिजन को दी। गोरेलाल की निधन की खबर लगते ही परिजनों ने में मातम छा गया। मातम में डूबे परिजन को दूसरी ही दिन 14 अप्रैल को अस्पताल की तरफ से सूचना मिली कि उनके मरीज यानि गोरेलाल की मृत्यु नहीं हुई है बल्कि वो जिंदा हैं और उनकी सांसें चल रही हैं। मातम में डूबे परिजन को जब ये खबर मिली तो वो तुरंत अस्पताल पहुंचे और डॉक्टर से बेहतर इलाज की गुहार लगाई। परिजन गोरेलाल के ठीक होने की प्रार्थना कर ही रहे थे कि फिर 14 अप्रैल की ही शाम को उनके पास फोन आया कि उनके मरीज की मौत हो चुकी है।
बेटे की जिद से सामने आई लापरवाही
गोरेलाल की मौत की खबर मिलने के बाद एक बार फिर उनका बेटा व परिजन अस्पताल पहुंचे। जहां उन्होंने डॉक्टर्स से संपर्क कर पिता का अंतिम संस्कार करने की बात कही। लेकिन डॉक्टर्स ने कोरोना गाइडलाइन का हवाला देते हुए नगर पालिका की टीम के द्वारा अंतिम संस्कार करने की बात कही। इसी बात को लेकर गोरेलाल के बेटे और डॉक्टर के बीच बहस हो गई। बेटा पिता का अंतिम संस्कार करने और पिता का शव देखने की जिद पर अड़ गया। जब बेटे ने शव को देखा तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं क्योंकि शव उसके पिता की जगह किसी और का था। गफलत का पता लगते ही अस्पताल का स्टाफ भी हैरान रह गया और जब पड़ताल की तो पता चला कि गोरेलाल तो अभी भी जिंदा है और आइसोलेशन वार्ड में उसका इलाज चल रहा है। अब इस मामले में एक तरफ जहां गोरेलाल के परिजन आरोप लगा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ मेडिकल कॉलेज प्रबंधन अपनी सफाई दे रहा है। लेकिन सवाल ये है कि कहीं अगर गोरेलाल का बेटा पिता का शव देखने की जिद न करता तो शायद अभी तक उसका परिवार गोरेलाल की मौत का जीते जी मातम मना रहा होता।
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Published on:
15 Apr 2021 05:56 pm
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