
इस चीज की तलाश में प्रशांत महासागर से आया 185 किलो का जीव, विशेषज्ञ ने कही ये बात
नई दिल्ली। बंगाल की खाड़ी के किनारे के भाग में 185 किलो की एक काली मार्लिन मछली पकड़ी गई है। आम तौर पर यह मछली प्रशांत सागर में पाई जाती है। मत्स्य पालन विशेषज्ञ का कहना है कि मछलियां ग्लोबल वार्मिग व खाने की तलाश की वजह से पलायन कर रही हैं। पूर्वी मिदनापुर जिले के अतिरिक्त मत्स्य पालन निदेशक रामकृष्ण सरदार ने कहा, "मार्लिन मछलियां आम तौर पर ठंडे क्षेत्र में पाई जाती है और आश्चर्यजनक तौर पर यह बंगाल की खाड़ी में पाई गई है।" रामकृष्ण सरदार के अनुसार, मार्लिन को ओडिशा के एक कोस्ट में एक मछुआरे ने पकड़ा है। उसने मंगलवार को 11 फुट लंबी मछली को पश्चिम बंगाल के दीघा के सी रिसॉर्ट में 8,500 में बेचा।
11 फीट लंबी यह मछली प्रति घंटे 129 किमी की रफ्तार से तैर सकती है और यह पानी की सतह पर 70-80 फीट ऊंची छलांग लगा सकती है। अपनी इसी खासियत की वजह से यह मछली संयुक्त राज्य अमेरिका में काफी लोकप्रिय है। वहां यह एक खेल गतिविधि का हिस्सा है, जिसमें लोग इसे पकड़ने की कोशिश करते हैं। मार्लिन एक प्रवासी प्रजाति है, यह गर्म धाराओं में सैकड़ों या हजारों मील की दूरी तय कर सकती है। पश्चिम बंगाल में 185 किलो की एक काली मार्लिन मछली 8,500 रुपये में बेच दी गई। जानकारी के लिए बता दें, आमतौर पर यह मछली प्रशांत महासागर में पाई जाती है।
कई मछुआरे काली मार्लिन मछली को एक खेल के ही रूप में देखते हैं और यह उनके आकार और शरीर की वजह से होता है। ऑस्ट्रेलिया के तट पर अनुसंधान से पता चलता है कि बड़ी मर्लिन मछलियों को पूर्णिमा की रात में पकड़ना बहुत आसान होता है, ऐसा इसलिए क्योंकि रात में इन मछलियों को मछवारे बेहतर तरीके से देख पाते हैं।
Published on:
13 Jul 2018 04:02 pm
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