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इसकी इन्हीं खूबियों के चलते इसे ‘कोकोनट क्रैब’ भी कहा जाता है। जानकारों के मुताबिक इस केकड़े में नुकीला कांटा काफी मजबूत होता है। यह नारियल के बाहरी कवच को भी आसानी से तोड़ सकता है। इनके अंदर 3300 न्यूटन बल की ताकत होती है। समय के साथ केकड़े का रंग बदलता जाता है। युवावस्था में ये भूरे रंग के होते हैं और इनके पैरों पर काली धारियां होती हैं। जबकि व्यस्क होने पर ये हल्के बैंगनी या गहरे बैंगनी रंग के हो जाते हैं। हालांकि कुछ केकड़े भूरे रंग के भी रह जाते हैं।
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‘कोकोनट क्रैब’ सड़ी-गली चीजों को खाकर अपना गुजारा करते हैं। ये दूसरे केकड़ों के कवच तक को खा लेते हैं। इनके अंदर सूंघने की क्षमता काफी तेज होती है। इसी वजह से ये अक्सर रात के अंधेरे में खाने की तलाश में बाहर निकलते हैं। इन्हें चोर केकड़ा भी कहा जाता है, क्योंकि ये अक्सर गंदे बर्तन या अन्य सामानों को चुपके से उठाकर ले जाते हैं।