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यहां 40 किलो की गेंद से खेलते है मैच, 700 साल से चली आ रही ये परंपरा

दो गांव के लोग व्‍यर्थ के कपड़ों से बनी फुटबॉल जैसी बड़ी गेंद खेलने के लिए ललकारते हैं। इस खेला को दड़ा कहा जाता है और यह सुबह शुरू होता है और शाम तक चलता है। इस खेल में 40 किलो का दड़ा तैयार किया जाता है।

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40 kg ball

40 kg ball

नई दिल्ली। अपने देश में अनेक जाति के लोग रहते है जो अलग अलग धर्म का मानते हैं। कई लोग सदियों से चली आ रही परंपराओं को आज भी निभा रहे है। हाल ही में मकर संक्रांति का पर्व देशभर में अलग अलग तरीकों से मनाया गया। कहीं जगह पतंगे उड़ाते है तो कहीं दान पुण्य करते है। इतिहास और संस्कृति के धनी राजस्थान के बूंदी जिले में इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है। यहां पर मकर संक्रांति के पावन पर्व पर 700 साल पुरानी परंपरा को आज भी निभा रहे है। इस दिन यहां पर 40 किलो की गेंद बनाकर खेला जाता है।

40 किलो की बनाते है गेंद
बूंदी से 25 किमी दूर बरूंधन गांव में मकर संक्रांति पर एक अनोखी परम्परा निभाई जाती है। यहां दो गांव के लोग एक दूसरे को व्‍यर्थ के कपड़ों से बनी फुटबॉल जैसी बड़ी गेंद खेलने के लिए ललकारते हैं। इस खेला को दड़ा कहा जाता है और यह सुबह शुरू होता है और शाम तक चलता है। इस खेल में 40 किलो का दड़ा तैयार किया जाता है। ये खेल दो टीमों के बीच होता है। इसकी तैयारी एक महीने पहले से ही हो जाती है।

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युवा और बुजुर्ग सभी लेते है भाग
यह खेल राजपूत समाज और ग्रामीणों में बीच होता है और इसमें युवा और बुजुर्ग सब हिस्सा लेते है। बताया जाता है कि इसमें आपसी भाईचारे का परिचय देते हैं। इस खेल में खूब जोर आजमाइश होती है, लेकिन झगड़ा ना कर आपसी सामंजस्य के साथ खेलते हैं।

छतों पर चढ़कर देखते है खेल
इस खेल को देखने के लिए आसपास के गांवों के लोग जमा होते है। यह खेल चलता है तो लगता है कि गांव में फुटबॉल का वर्ल्ड कप हो रहा है। सभी लोग अपने घरों की छतों पर चढ़कर खेल देखकर आनंदित होते हैं। प्राचीन समय से इसको खेलने की चली आ रही परंपरा को गांव के लोगों ने आज भी जीवित रखा है।