
Women' Health : Menopause and pre-menopause
Women's Health : Menopause and pre-menopause : मेनोपॉज यानी रजोनिवृति महिलाओं में एक सामान्य शारीरिक बदलाव है, लेकिन यदि यह समय से पहले हो जाए तो चिंता की बात है। समय से पूर्व मेनोपॉज का असर (Premature menopause affects) न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। महिलाओं में आमतौर पर 48-50 वर्ष की उम्र पर रजोनिवृत्ति (Menopause) होती है। लेकिन बदलती लाइफस्टाइल के चलते अब 38-40 वर्ष की उम्र में भी मेनोपॉज यानी पीरियड्स बंद होने जैसे मामले देखे जा रहे हैं। उसके अलावा प्री-मैच्योर ओवेरियन फेलियर वाले मामले भी अब सामने आने लगे हैं जो कि अधिकतर 30 वर्ष या उसके बाद हो रहा है।
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तीस वर्ष के बाद अपनी मैन्स्टुअल हैल्थ (menstrual health) का ध्यान महिलाओं को अवश्य रखना चाहिए। अधिकांश महिलाओं के पास रजोनिवृत्ति (menopause) तक आने वाले वर्षों से निपटने के लिए प्रासंगिक जानकारी नहीं होती है। हर महिला को 35 साल की उम्र के बाद मेनोपॉज से जुड़ी बातों को जानना चाहिए।
डॉ. ऋतु हरिप्रिया, स्त्री रोग विशेषज्ञ, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर
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ऐसे समझें मेनोपॉज और पेरी /प्री-मेनोपॉज को...
Periods - जन्म के साथ एक लड़की की ओवरी में अंडे बन जाते हैं। 12 से 14 साल के बीच लड़कियों का अंडाशय पूरी तरह विकसित हो जाता है और ये हर माह एक अंडा गर्भाशय नाल में रिलीज करता है. इसके साथ दो हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन बनते हैं. इन हार्मोन्स की वजह से गर्भाशय की रक्त और म्यूकस से बनी परत मोटी(एंडोमेट्रियम) हो जाती है. इस दौरान यदि अंडा शुक्राणु के संपर्क में आता है तो ये फर्टिलाइज हो जाता है और महिला गर्भवती हो जाती है. यदि इस बीच ये फर्टिलाइज नहीं हुआ तो गर्भाशय की मोटी परत (एंडोमेट्रियम) उस अंडे के साथ मिलकर रक्त के रूप में योनि से बाहर आती है, जिसे मासिक धर्म या पीरियड कहा जाता है।
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मेनोपॉज - ओवरी में जब अंडे खत्म हो जाते हैं तो पीरियड्स बंद हो जाते हैं। इस स्थिति को मेनोपॉज कहते हैं। सामान्यतः भारतीय महिलाओं में मेनोपॉज की अवधि 48-50 वर्ष के बीच मानी गई है। लेकिन कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि मां या बड़ी बहन के मेनोपॉज जल्दी या देरी से आया तो हो सकता है कि आपके भी जल्दी या देरी से आए।
पेरीमेनोपॉज/प्री-मेनोपॉज - यह मेनोपॉज के आसपास का समय होता है। कई बार महिलाओं के 40 वर्ष की उम्र के आसपास मासिक धर्म बंद हो जाता है। यह प्री-मेनोपॉज होता है। पेरी मेनोपॉज के दौरान महिलाएं कई तरह की दिक्कतों से गुजरती हैं जिसमें पीरियड्स बेहद कम या अधिकता में होते हैं। मूड स्विंग्स होते हैं। अधिकतर लोगों में यह धारणा होती है कि यह समय पीरियड्स जाने का है तो ऐसे समय में ये दिक्कतें तो होती ही हैं। इसमें ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है। लेकिन 40 वर्ष के बाद यदि पीरियड्स अनियमित, हैवी या बेहद कम होने जैसी समस्याएं होते हैं तो चिकित्सकीय सलाह बहुत जरूरी है।
यह पड़ता प्रभाव : पेरीमेनोपॉज और प्री-मेनोपॉज से महिलाओं की सेहत पर असर पड़ता है और समय से पहले ही उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। चिड़चिड़ाहट, चेहरे पर पसीना होना, नींद न आना, वजन बढ़ने जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। बीपी-शुगर में उतार-चढ़ाव देखा जाता है।
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डाइट और एक्सरसाइज पर ध्यान दें महिलाएं : महिलाओं को 40 वर्ष की उम्र के बाद विशेष रूप से डाइट और एक्सरसाइज पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें कैल्शियम रिच डाइट लेनी चाहिए। हरी सब्जियां, फाइबर युक्त चीजें, मोटे अनाज का सेवन करना चाहिए। व्यायाम और वॉक बेहद जरूरी है। क्योंकि यह समय वजन बढ़ने का भी होता है। इसलिए उसे नियंत्रित रखना आवश्यक है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
Published on:
12 Jul 2023 03:49 pm
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