
नई दिल्ली।
तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता संभालते वक्त दावा किया था कि अब वह पूरी तरह बदल गया है। इस बार उसकी सरकार किसी पर जुर्म नहीं करेगी और सभी के अधिकारों की रक्षा करेगी। मगर अब तक हुआ इसका ठीक उल्टा है। तालिबानियों की करतूतें खुद उनकी क्रूरता बयां कर रही हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशल के मुताबिक तालिबान के लड़ाकों ने क्रूर तरीके से 13 हजारा समुदाय के लोगों को मार डाला है। इनमें ज्यादातर अफगान सैनिक बताए जा रहे हैं जिन्होंने विद्रोहियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। बताया जा रहा है कि ये हत्याएं कथित तौर पर तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जे के दो हफ्ते बाद हुई हैं।
वहीं, एमनेस्टी की ओर से की गई जांच के मुताबिक ये हत्याएं 30 अगस्त को दाकुंडी प्रांत के कहोर गांव में हुई हैं। पीड़ितों में से 11 अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा बलों के सदस्य थे और दो नागरिक थे। मृतकों में एक 17 साल की लड़की भी शामिल थी। बता दें कि अफगानिस्तान में करीब 10 प्रतिशत हाजरा समुदाय के लोग रहते हैं। हाजरा समुदाय की आबादी करीब 40 लाख बताई जाती है।
वैसे, इन हत्याओं को लेकर अब तक तालिबान ने कोई बयान या सफाई नहीं दी है। एमनेस्टी ने जानकारी दी है कि दाकुंडी के लिए तालिबान द्वारा नियुक्त पुलिस प्रमुख सादिकुल्ला आबेद ने किसी भी तरह की हत्या से इनकार किया है और सिर्फ इतना कहा कि तालिबान का एक सदस्य प्रांत में हमले में घायल हो गया था।
एमनेस्टी की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान ने 14 अगस्त को दाकुंडी प्रांत पर नियंत्रण कर लिया था। इसके बाद अनुमानित 34 पूर्व सैनिकों ने खिदिर जिले में सुरक्षा की मांग की। सैनिक, जिनके पास सरकारी सैन्य उपकरण और हथियार थे, तालिबान के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार हो गए।
30 अगस्त को करीब 300 तालिबान लड़ाके दहानी कुल गांव के पास एक काफिले में पहुंचे, जहां सुरक्षा बल के सदस्य रह रहे थे, जिनमें से कुछ परिवार के सदस्यों के साथ थे। सुरक्षा बलों ने अपने परिवारों के साथ क्षेत्र छोड़ने का प्रयास किया, तालिबान लड़ाकों ने उन्हें पकड़ लिया और भीड़ पर गोलियां चला दीं, जिसमें मासूमा नाम की एक 17 वर्षीय लड़की की भी मौत हो गई।
Published on:
05 Oct 2021 02:55 pm
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