अमेरिका (America) का राष्ट्रीय कर्ज करीब 37 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 32 लाख अरब रुपए को पार कर गया है। इससे वित्तीय और नीति जगत में खतरे की घंटी बज गई है। अमेरिका को कर्ज पर ब्याज (Interest) चुकाने का खर्च हर साल 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच रहा है। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि यही स्तर बना रहा तो अमेरिका बुरी तरह से कर्ज के जाल में फंस जाएगा।
कांग्रेसनल बजट ऑफिस (CBO) ने कहा कि अगर अमेरिकी सरकार जल्द ही कोई बड़ा सुधार नहीं करती है तो ये कर्ज साल 2055 तक अमेरिका के कुल GDP का 156 फीसदी तक पहुंच जाएगा। संस्था की ओर से कहा गया कि 2 ट्रिलियन का सालाना घाटा कर्ज को बढ़ा रहा है। खर्च में बढ़ोतरी धीमी ग्रोथरेट व राजस्व की कमी के चलते आया है।
CBO ने बताया कि संघीय टैक्स इनकम का लगभग एक चौथाई हिस्सा कर्ज चुकाने में खर्च हो रहा है। इस वजह से समाजिक सुरक्षा, मेडिकेयर, रक्षा और बुनियादी ढांचों जैसे कार्यक्रमों के लिए पैसों की कमी आएगी। इन कार्यक्रमों पर लाखों अमेरिकी नागरिकों का जीवन निर्भर है।
37 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज अमेरिकी आर्थिक नीतियों और वैश्विक संबंधों को प्रभावित कर सकता है। व्यापार युद्ध में चीन के सामने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नरमी की भी एक वजह कर्ज ही है। एक्सपर्ट्स ने कहा कि कर्ज के कारण निवेश में कमी आ सकती है। उधार की लागत बढ़ने से आर्थिक विकास शिथिल पड़ सकता है।
CBO ने कहा कि अगर अमेरिकी सरकार कर्ज को काबू करने में नाकाम रही तो अगले दशक में GDP 340 अरब डॉलर तक कम हो सकती है। इससे अमेरिका में 12 लाख नौकरियां चली जाएंगी। वेतन वृद्धि भी काफी धीमी पड़ सकती है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी से नुकसान और बढ़ जाएगा।
CBO ने कहा कि अगर निवेशकों का सरकार की वित्तीय प्रबंधन करने की क्षमता से विश्वास उठ जाता है तो ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी या डॉलर का पतन हो सकता है। इससे आर्थिक स्थिरता कमजोर हो सकती है। वैश्विक स्तर पर झटके लग सकते हैं।
Published on:
22 Jun 2025 12:30 pm