
भारतीय ब्लॉगर अनीशा अरोड़ा। फोटो: Instagram / @anishaaa1102
Indian Passport Disadvantage at Frankfurt Airport: अमेरिका में रहने वाली अनीशा अरोड़ा ( Anisha Arora) नाम की भारतीय महिला ( NRI News )का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में वह अपनी फ्लाइट मिस (Missed Flight) होने के बाद भारत के पासपोर्ट सिस्टम (Indian Passport) और वैश्विक सुविधाओं को लेकर निराशा जाहिर कर रही हैं। अनीशा ने बताया कि उनकी फ्लाइट फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट (Frankfurt Airport) पर कनेक्टिविटी में देर होने के कारण छूट गई। जहां अमेरिकी पासपोर्ट धारकों को पांच सितारा होटल, मुफ्त खाना और शहर घूमने का मौका मिला (Indian Passport Disadvantage at Frankfurt Airport), वहीं उन्हें एयरपोर्ट पर एक बहुत छोटा ‘कैप्सूल’ कमरा दिया गया। उन्होंने कहा, “मैंने कभी अपने पासपोर्ट की इतनी अहमियत नहीं समझी थी, लेकिन आज इसका फर्क साफ तौर पर नजर आया ।” गौरतलब है कि हेनले पासपोर्ट सूचकांक में भारत 82वें स्थान पर है , जो 10वें स्थान पर स्थित अमेरिका से ((US vs Indian Passport) ) बहुत नीचे है।
यह क्या हुआ?
भारतीय मूल की महिला अनीशा अरोड़ा की फ्लाइट मिस हो गई, जिसके बाद उन्हें पासपोर्ट आधारित भेदभाव का सामना करना पड़ा।
यह कब हुआ?
यह घटना हाल ही में हुई है और महिला ने इसका वीडियो सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम) पर शेयर किया, जो वायरल हो गया।
यह कहां हुआ?
फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट, जर्मनी।
यह क्यों हुआ ?
महिला की connecting फ्लाइट मिस हो गई, और उन्हें एयरपोर्ट पर एक छोटा कैप्सूल कमरा दिया गया।
यह किसके साथ हुआ ?
न्यूयॉर्क में रहने वाली भारतीय महिला अनीशा अरोड़ा के साथ, जिनके पास भारतीय पासपोर्ट था।
यह मामला क्यों चर्चा में है?
अमेरिकी यात्रियों को पासपोर्ट की वजह से 5-सितारा होटल और बाहर घूमने की अनुमति मिली। भारतीय पासपोर्ट की सीमाओं और वीज़ा नियमों ने उन्हें एयरपोर्ट के छोटे कैप्सूल तक सीमित कर दिया। महिला ने इस अंतर को लेकर वीडियो में नाराज़गी जताई और यह वीडियो वायरल हो गया।
अनीशा ने अपने वीडियो में उस कैप्सूल कमरे की झलक भी दिखाई, जिसमें वह रुकने को मजबूर थीं। उन्होंने कहा, "जिनके पास अमेरिकी पासपोर्ट है, वे एयरपोर्ट से बाहर निकल सकते हैं, जर्मनी घूम सकते हैं, लेकिन मेरे पास शेंगेन वीजा नहीं है, इसलिए मैं इस कैप्सूल में ही फंसी हुई हूं।”
बहरहाल यह घटना सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि उन लाखों भारतीयों की कहानी है जो अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में अपने पासपोर्ट की सीमाओं से जूझते हैं। वहीं, यह भी दिखाता है कि किस तरह वैश्विक स्तर पर पासपोर्ट की ताकत लोगों के अनुभव और अवसरों को प्रभावित करती है।
Published on:
30 Jun 2025 06:23 pm
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