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दुनिया के लिए चौथी सबसे बड़ी चिंता बना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जानिए क्या-क्या है जोखिम

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) दुनिया के लिए चौथी सबसे बड़ी चिंता बना हुआ है। इंश्योरेंस कंपनी एएक्सए की फ्यूचर रिस्क रिपोर्ट 2023 के अनुसार पिछले साल की तुलना में एआइ 10 अंकों की छलांग लगाई है।

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दुनिया के भविष्य के लिए उभरते जोखिमों में जलवायु परिवर्तन, युद्ध और अन्य अनिश्चितताओं के बीच एक नया खतरा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) है। इंश्योरेंस कंपनी एएक्सए की फ्यूचर रिस्क रिपोर्ट 2023 के अनुसार पिछले साल की तुलना में एआइ 10 अंकों की छलांग लगाते हुए इस वर्ष दुनिया की चौथी सबसे बड़ी चिंता बन गया है। विशेष रूप से जेनरेटिव एआइ के तेजी से विकास ने इस खतरे को और बढ़ाया है। वैश्विक स्तर पर अधिकांश विशेषज्ञों (64% ) और जनता (70% ) का तो यह भी मानना है कि एआइ संबंधी रिसर्च को रोक दिया जाना चाहिए। अनुमान है कि एआइ का विकास मनुष्यों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर सकता है।


जलवायु परिवर्तन को माना गया सबसे बड़ा जोखिम

जलवायु परिवर्तन को विशेषज्ञ और जनता दोनों ही सबसे बड़ा खतरा मानते हैं। यह विषय बिना किसी अपवाद के दुनिया के लगभग हर हिस्से में सबसे महत्त्वपूर्ण जोखिम माना गया है। इस संबंध में केवल 15 फीसदी विशेषज्ञों को ही लगता है कि स्थानीय प्रशासन इससे निपटने के लिए तैयार है। वैश्विक देशों में साइबर सुरक्षा संबंधी जोखिम लगातार छठे साल भी चिंता का विषय बना हुआ है। इसमें 'साइबर युद्ध' को भी शामिल किया गया है।

प्रदूषण जैसे कारकों से लोगों में बढ़ा असुरक्षा का भाव

दुनिया के 50 देशों में 3,500 विशेषज्ञों और 15 राष्ट्रों में सामान्य आबादी के 20,000 सदस्यों के बीच हुए सर्वे के अनुसार लोगों में असुरक्षा की भावना उच्च बनी हुई है। 84 प्रतिशत विशेषज्ञ राष्ट्रीय स्तर पर और स्थानीय स्तर पर 73 फीसदी पांच साल पहले की तुलना में अधिक असुरक्षित महसूस करते हैं। यह प्रवृत्ति सामान्य आबादी में भी स्पष्ट है, जहां राष्ट्रीय और स्थानीय दोनों स्तरों पर तीन वर्षों में असुरक्षा की भावना सात फीसदी तक बढ़ गई है। ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण और लंबे समय तक हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने जैसे कारकों ने लोगों में असुरक्षा के भाव को बढ़ाया है।

एशिया को उम्मीद जोखिमों से निपट लेगी दुनिया

हाई टेक्नोलॉजी ने वैश्विक चिंता को बढ़ाया है। इससे सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं के प्रसार, भय को बढ़ावा देना, राजनीतिक अस्थिरता जैसे खतरों में इजाफा हुआ है। इसे कम करने के लिए जागरुकता और सतर्क निगरानी आवश्यक है। अधिकांश विशेषज्ञों और लोगों को लगता है कि एकजुटता के साथ इन वैश्विक जोखिमों का सामना किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए सकारात्मकता का प्रतिशत एशियाई देशों में अधिक और यूरोप में कम है।

सामाजिक प्रगति और जोखिम

75% विशेषज्ञ सोचते हैं कि ज्यादातर जोखिम आपस में जुड़े हुए हैं।
60% का मानना है कि सामाजिक प्रगति के लिए जोखिम उठाने की जरूरत है।
68% लोग रोजमर्रा में साइबर जोखिमों के प्रति असुरक्षित महसूस करते हैं।

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प्रमुख वैश्विक संकट










































क्र.सं. जोखिमरैंकिंग (2022) रैंकिंग (2023)
1जलवायु परिवर्तन11
2साइबर सुरक्षा संबंधी जोखिम32
3भू-राजनीतिक अस्थिरता23
4एआइ144
5ऊर्जा संबंधी संकट45

- स्रोत: एएक्सए

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