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बांग्लादेश में हिन्दू सांसदों पर भी जुल्म, मां के अंतिम संस्कार तक में नहीं जा सके, छिप कर बचा रहे जान

Bangladesh: बीते साल अगस्त में 5 से 20 तारीख के बीच हिंदुओं सहित तमाम अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, लूट और आगजनी की 2000 से ज्यादा घटनाएं हुई थीं। वहीं आए दिन छिटपुट घटनाएं हो रही हैं।

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Attacks on Sheikh Hasina Party Awami League Hindu leaders in Bangladesh Muhmmad Yunus

Attacks on Sheikh Hasina Party Awami League Hindu leaders in Bangladesh

Bangladesh: बांग्लादेश में तख्तापलट को छह महीने होने वाले हैं, लेकिन हालात सामान्य नहीं हो रहे हैं। भारत में शरण ली हुईं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) की पार्टी अवामी लीग के नेताओं की हालत अब भी खराब है। जनता का हाल भी बुरा ही है, अल्पसंख्यकों पर जुल्म जारी है। अवामी लीग के कई अल्पसंख्यक सांसद भी जान बचाने के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। उधर, बांग्लादेश की अन्तरिम सरकार शेख हसीना को भारत से ले जाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। हसीना 5 अगस्त, 2024 को जान बचा कर ढाका से भारत पहुंची थीं। तब से वे भारत में ही हैं। वे पार्टी के नेताओं से लगातार संपर्क में हैं।

अल्पसंख्यक सासंदों के घर जलाए गए

अवामी लीग के कई नेताओं ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ अखबार की रितु सरीन से बातचीत में आपबीती बयान की है। इन्होंने बताया है कि बीते अगस्त में 5 से 20 तारीख के बीच हिंदुओं सहित तमाम अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, लूट और आगजनी की 2000 से ज्यादा घटनाएं हुई थीं। छिटपुट घटनाएं लगभग रोज ही हो रही हैं।

तीन बार के सांसद रहे और 2024 में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले पंकज नाथ के मुताबिक लगभग सभी अल्पसंख्यक सांसदों के घर जला दिए गए, बैंक खाते फ्रीज़ कर दिए गए। नेताओं के खेत, कार्यालय, कारखानों को लूट लिया गया और जला दिया गया। उनका कहना है कि वह अभी भी भूमिगत हैं और उनका परिवार भी जान बचाने के लिए यहां-वहां भटक रहा है। वह 28 दिसम्बर को अपनी मां के अंतिम संस्कार तक में नहीं जा सके थे।    

अवामी लीग के नेताओं के साथ क्या हुआ?

शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग (Awami League) के नेताओं पर यूनुस सरकार ने तमाम आरोप लगाते हुए कई नेताओं को जेल में डाल दिया है। वहीं कई नेता देश से बाहर हैं तो कई अपने घरों में छिपे हुए हैं। 11 साल तक बांग्लादेश की कैबिनेट में मंत्री रहे एक नेता पर हत्या के 37 मामले दर्ज करा दिए। उन पर कुल 100 मुकदमे दायर करा दिए गए।

आवामी लीग के एक-तिहाई बड़े नेता जेल में हैं, एक-तिहाई देश के बाहर हैं और जो बांग्लादेश में हैं वे छिप कर रह रहे हैं। हसीना कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री रहे 78 साल के मोहम्मद हक के मुताबिक कई नेताओं के पास खाने तक के लिए पैसे नहीं है, वे छिपते-छिपाते किसी तरह अपनी जान बचा रहे हैं।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले बांग्लादेश की पूर्व PM शेख हसीना ने भी बयान देते हुए कहा था उनके विरोधियों ने उन्हें जान से मारने की साजिश रची थी। उन्होंने एक ऑडियो क्लिप शेयर की थी जिसमें उन्होंने बताया था कि वे बांग्लादेश छोड़ने के दौरान कैसे अपनी जान बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही थीं। इसके अलावा उन्होंने 21 अगस्त 2004 को हुए ग्रेनेड हमले का जिक्र करते हुए कहा था कि उनके पास जान बचाने के लिए सिर्फ 20-25 मिनट थे नहीं तो वह मौत के मुंह में चली जातीं।

बांग्लादेश में जल्द चुनाव कराने पर जोर

अगस्त से पहले विपक्ष में रही बांग्लादेश की पार्टी BNP यानी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने भी मोहम्मद यूनुस सरकार (Muhammad Yunus) पर सवाल उठाते हुए उन्हें विफल करार दिया है। BNP ने बांग्लादेश में जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है।

बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक BNP के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से निष्पक्ष रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि ये सरकार कई मुद्दों पर तटस्थ रहने में फेल हो गई है। फखरुल ने कहा कि बांग्लादेश सरकार को जरूरी सुधार करने के बाद जल्द से जल्द चुनाव कराना चाहिए।

चुनाव पर क्या बोले मोहम्मद यूनुस

बांग्लादेश में चुनाव कराने पर मोहम्मद यूनुस ने दावोस में WEF यानी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) के मंच पर कहा कि पिछले साल छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद देश में अगले चुनाव 2025 के आखिर में या 2026 के बीच होने की संभावना है। यूनुस ने इस बात पर जोर दिया कि ये समयसीमा बांग्लादेश की सुधार प्रक्रिया पर निर्भर करती है। इस साल के अंत तक वे चुनाव सुधार एजेंडा को अंतिम रूप देंगे।

मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना की सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछली सरकार के तहत वास्तविक मतदान के बिना ही चुनाव करा लिए गए, जिससे लाखों युवा वोटिंग करने से वंचित रह गए। अब आने वाले चुनाव में निष्पक्ष मतदान होगा, जिससे ये सुनिश्चित किया जा सकेगा कि बांग्लादेश का हर नागरिक बिना किसी डर या धोखाधड़ी के अपना वोट डाल सके।

5 अगस्त को हुआ था तख्तापलट

बता दें कि बांग्लादेश में जन आंदोलन के बाद 5 अगस्त, 2024 को सेना ने शेख हसीना को बेदखल कर खुद सत्ता पर नियंत्रण ले लिया था। शेख हसीना तत्काल भारत चली गईं थीं और नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अन्तरिम सरकार के प्रमुख के रूप में मुल्क की कमान दे दी गई थी।

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