
Black hole
Black Hole: अमेरिका में वैज्ञानिकों की एक टीम ने ब्रह्मांड में ब्लैक होल (Black Hole) और छोटी आकाशगंगाओं के अब तक के सबसे बड़े नमूनों की खोज की है। यह काम भारतीय मूल (NRI News)की खगोल वैज्ञानिक रागा दीपिका पुचा (Raga Deepika Pucha) के नेतृत्व में किया गया है। इन नए नमूनों की संख्या मौजूदा गणना से तीन गुना ज्यादा है, जो छोटी आकाशगंगाओं और ब्लैक होल के विकास के बीच की जटिलता और ज्यादा अच्छे तरीके से समझने में मदद करेगी। साथ ही, यह रिसर्च ब्रह्मांड के शुरुआती दिनों में ब्लैक होल का विकास होने की प्रक्रिया समझने में भी मददगार हो सकती है। जानकारी के अनुसार भारत ( India) के आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा की दीपिका और उनकी टीम ने DESI (Dark Energy Spectroscopic Instrument) के शुरुआती डेटा का उपयोग करते हुए सक्रिय रूप से भोजन कर रहे ब्लैक होल वाली छोटी आकाश गंगाओं का अब तक का सबसे बड़ा नमूना तैयार किया है। इसने मध्यवर्ती द्रव्यमान वाले ब्लैक होल के सबसे बड़े संग्रह का भी निर्माण किया है। यह खोज वैज्ञानिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ब्लैक होल की संख्या और उनके बनने की प्रकिया के बारे में हमारी समझ और बढ़ाती है।
जानकारी के मुताबिक DESI एक अत्याधुनिक उपकरण है, जो एक बार में 5,000 आकाशगंगाओं से प्रकाश इकट्ठा कर सकता है। इसे अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने वित्त पोषित किया है और यह यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) की ओर से संचालित किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन के इस कार्यक्रम का उद्देश्य पांच बरसों तक आकाश का सर्वेक्षण करना है, और जब यह पूरा होगा, तो लगभग 40 मिलियन आकाशगंगाओं और क्वासरों का निरीक्षण किया जाएगा। DESI परियोजना में दुनियाभर के 70 से ज्यादा संस्थानों के 900 से ज्यादा शोधकर्ता शामिल हैं, और इसका संचालन DOE के लॉरेंस बर्कली नेशनल लैबोरेटरी कर रही है।
जानकारी के मुताबिक DESI के पहले वर्ष के डेटा में 410,000 आकाशगंगाओं के स्पैक्ट्रा शामिल हैं, जिनमें से 115,000 छोटी आकाशगंगाएं हैं। छोटी आकाशगंगाएं बहुत छोटी होती हैं, जिनमें हजारों से लेकर कुछ अरब तारे और बहुत कम गैस होती है। यह डेटा दीपिका और उनकी टीम ब्लैक होल और छोटी आकाशगंगाओं के विकास की जटिल प्रक्रिया समझने में मदद करेगा।
खगोल भौतिकीविदों का मानना है कि सभी बड़ी आकाशगंगाओं में ब्लैक होल होते हैं, लेकिन जैसे ही हम छोटे द्रव्यमान वाली आकाशगंगाओं की ओर बढ़ते हैं, यह चित्र अधिक अस्पष्ट हो जाता है। ब्लैक होल की पहचान करना अपने आप में एक चुनौती है और छोटी आकाशगंगाओं में यह और भी कठिन हो जाता है, क्योंकि उनकी आकार में छोटी होती हैं और हमारे उपकरणों की क्षमता सीमित होती है।
खगोल विज्ञान के अनुसार एक सक्रिय ब्लैक होल को पहचानना आसान होता है। जब एक काला छेद किसी आकाशगंगा के केंद्र में वैज्ञानिक नजरिये से खाना खाना शुरू करता है, तो वह अपने आसपास भारी ऊर्जा छोड़ता है, जिसे हम एक "सक्रिय आकाशगंगाई नाभिक" (AGN) कहते हैं। यह गतिविधि एक तरह से एक प्रकाशस्तंभ की तरह काम करती है, जो छोटी आकाशगंगाओं में छिपे हुए ब्लैक होल की पहचान करने में हमारी मदद करती है।
दरअसल वैज्ञानिक दीपिका और उनकी टीम ने 2,500 ऐसी छोटी आकाशगंगाओं की पहचान की है, जिनमें एक सक्रिय आकाशगंगाई नाभिक (AGN) था। यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इन आकाशगंगाओं का अनुपात (2%) पहले किए गए अध्ययनों (जो लगभग 0.5% था) से कहीं अधिक है, और यह एक रोमांचक खोज है। इसका मतलब यह है कि वैज्ञानिक अब तक कम द्रव्यमान वाले और अज्ञात काले छेदों की बड़ी संख्या पहचान करने में चूक गए हैं। खुशी की बात यह है कि यह खोज न सिर्फ खगोलशास्त्रियों के लिए एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह हमें ब्रह्मांड में पहले ब्लैक होल के बनने और आकाशगंगाओं के विकास की प्रक्रिया बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगी।
खगोल विज्ञान के अनुसार ब्लैक होल एक ऐसी खगोलीय वस्तु है जिसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी मजबूत होती है कि वह किसी भी चीज़, यहां तक कि प्रकाश को भी अपने भीतर खींच लेती है। यह "काला" होता है, क्योंकि इसमें से कोई भी प्रकाश बाहर नहीं निकलता, जिससे हम इसे देख नहीं सकते। ब्लैक होल का आकार बहुत छोटा हो सकता है, लेकिन इसका द्रव्यमान बहुत विशाल होता है।
खगोल विज्ञान के मुताबिक ब्लैक होल का निर्माण तब होता है जब बहुत बड़े तारे (जो अपनी उम्र के अंतिम चरण में होते हैं) अपने जीवन के अंत में सुपरनोवा (तारों के विस्फोट) के रूप में समाप्त होते हैं। इस प्रक्रिया में तारा अपनी पूरी सामग्री को संकुचित कर के एक अत्यधिक घना और छोटे आकार का वस्तु बना लेता है, जिसे ब्लैक होल कहा जाता है।
ब्लैक होल का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा ईवेंट होराइजन (Event Horizon) है, जो वह सीमा होती है जिसके बाद कुछ भी (चाहे वह प्रकाश हो या कोई वस्तु) वापस नहीं आ सकता। इसका मतलब यह है कि अगर कोई वस्तु आकाशगंगा के पार चली जाती है, तो वह कभी वापस नहीं आ सकती और हमेशा के लिए ब्लैक होल में समा जाती है।
ये ब्लैक होल बहुत बड़े होते हैं और आकाशगंगाओं के केंद्र में पाए जाते हैं। इनका द्रव्यमान लाखों या अरबों सूरजों के बराबर हो सकता है।
ये ब्लैक होल स्टेलर और सुपरमैसिव ब्लैक होल के बीच के द्रव्यमान के होते हैं और इनकी खोज हाल ही में की गई है। बहरहाल ब्लैक होल का अध्ययन खगोलशास्त्रियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें ब्रह्मांड के विकास और इसकी संरचना समझने में मदद करता है।
Published on:
21 Feb 2025 12:28 pm
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