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पाकिस्तान के बाद बांग्लादेश बन रहा चीन का अगला ‘मोहरा’! तनाव के बीच भारत के लिए खड़ी हुई एक नई टेंशन 

China and Bangladesh: भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए, बांग्लादेश के साथ संबंधों को सुधारना बड़ा मुद्दा है और ये जरूरी है। वरना पाकिस्तान और चीन पूरी तरह से बांग्लादेश को अपने जाल में फंसा सकता है।

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चीन और बांग्लादेश

China and Bangladesh: बांग्लादेश और भारत के बीच तनाव अब बढ़ता ही जा रहा है। हिंदुओं पर अत्याचार की साज़िश में बांग्लादेश की सरकार के साथ चीन का नाम तो उछल ही चुका है, अब कहा जा रहा है कि भारत से बढ़ती बांग्लादेश की दूरी का फायदा चीन उठा सकता है। ये बिल्कुल वैसा हो सकता है जैसे चीन ने पाकिस्तान (Pakistan) और श्रीलंका के साथ किया है। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) चीन की तरफ झुके हुए माने जाते हैं। वे कम्यूनिस्ट हैं और चीन की तारीफ करते नहीं थकते। अब कई विश्लेषकों का कहना है कि चीन बांग्लादेश को अपने निवेश के जाल में फंसा कर पूरी तरह उसे अपनी मुट्ठी में कर सकता है।

भारत के लिए संबंध सुधारना बेहद जरूरी

एक अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट में वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ डेरेक ग्रॉसमैन का हवाला देते हुए कहा है कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए, बांग्लादेश के साथ संबंधों को सुधारना बड़ा मुद्दा है और ये जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो पाकिस्तान और चीन पूरी तरह से बांग्लादेश को अपने जाल में फंसा सकते हैं। जिसकी शुरुआत तो चीन ने कर भी दी। ये दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भी बेहद अहम है।

हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाओं के दौरान भारत विरोधी सियासी दलों से मिल रहे थे चीनी नेता

दरअसल बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के कुछ समय बाद ही चीनी राजदूत याओ वेन ने मोहम्मद यूनुस समेत दूसरे अंतरिम सरकारी अधिकारियों, भारत विरोधी सियासी दलों BNP और यहां तक ​​कि जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख के साथ चक्कर लगाना शुरू कर दिया था। जमात-ए-इस्लामी खुद को मुस्लिम ब्रदरहुड और पाकिस्तानी इस्लामवादियों के समर्थित एक इस्लामी चरमपंथी समूह कहता है। ढाका के चीनी दूतावास में लगभग एक महीने पहले बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों हिफाज़त ए इस्लामी, जमात ए इस्लामी के नेताओं के लिए एक भव्य पार्टी आयोजित की थी। ये वही नेता हैं जो भारत (India) और हिंदुओं के कट्टर विरोधी हैं।

बांग्लादेश में चीन का निवेश 

बांग्लादेश के बुनियादी ढांचे (China investment in Bangladesh) में चीन के निवेश को रक्षा विशेषज्ञ समेत पूरी दुनिया चीन के लिए एक बड़े अवसर के रूप में और भारत के लिए एक और पड़ोसी गंवाते हुए देख रही है। बांग्लादेश में चीनी निवेश पर एक नजर डालें तो-

1- शेख हसीना (Sheikh Hasina) के कार्यकाल में बांग्लादेश में चीन का निवेश 2023 तक 3.2 बिलियन डॉलर पहुंच गया जो बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा विदेशी निवेश स्रोत बन गया।

2- चीन, बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 

3- चीन ने बांग्लादेश में 12 सड़कें, 21 पुल, और 27 बिजली स्टेशन बनाए हैं। 

4- चीन ने बांग्लादेश में 700 से ज़्यादा कंपनियां लगाई हैं। 

5- 2024 तक बांग्लादेश पर चीन का कर्ज़ 6 बिलियन डॉलर हो गया है।

6- चीन ने बांग्लादेश की सबसे बड़ी नदी पद्मा पर 6 किलोमीटर लंबा सड़क और रेल पुल बनाया है। इसे दक्षिण एशिया का सबसे लंबा पुल कहा जाता है। 

7- सिर्फ इतना ही नहीं, बांग्लादेश के बुनियादी ढांचे में भारी निवेश कर चीन ने बांग्लादेश में साढ़े 5 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा की हैं। 

8- टेक्सटाइल के लिए पूरी दुनिया में फेमस बांग्लादेश में टेक्सटाइल और केमिकल इंडस्ट्री भी चीन ने लगाई है।

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BRI प्रोजेक्ट पर चीन का 38 अरब डॉलर का निवेश

सिर्फ इतना ही नहीं, चीन और बांग्लादेश के बीच बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative, BRI) का समझौता भी हुआ है। 2016 में इस प्रोजेक्ट पर 38 अरब डॉलर का निवेश हुआ। हालांकि यहां पर इस बात पर भी गौर करना होगा कि बांग्लादेश में ये ज्यादातर निवेश शेख हसीना के बतौर प्रधानमंत्री रहते हुए हैं। तब बांग्लादेश ने चीन के समझौतों पर हां भी की और जापान-भारत से भी व्यापारिक और सामरिक संबंधों को भी जगह दी। रिपोर्ट के मुताबिक उस वक्त चीन ने कई ऐसे प्रोजेक्ट्स का प्रस्ताव भी बांग्लादेश को दिया था, जिनसे बांग्लादेश एक बड़े कर्ज के कुचक्र में फंस सकता था लेकिन उन प्रस्तावों को बांग्लादेश ने ना कह दिया था।

लेकिन अब ना तो शेख हसीना बांग्लादेश में हैं और ना ही उनकी सरकार। मोह्म्मद युनूस चीन की तरफ झुके हुए नेता माने जाते हैं, तो इस बात पर कोई संशय नहीं होना चाहिए कि अब उन प्रोजेक्ट्स को भी यूनुस सरकार हां कह सकती है। अगर ऐसा होता है तो बांग्लादेश चीन का वो मोहरा बन सकता है, जो इस समय उसके लिए पाकिस्तान और श्रीलंका (Sri Lanka) हैं।

श्रीलंका का उदाहरण सामने, फिर भी फंसता जा रहा बांग्लादेश?

बांग्लादेश में बढ़ती चीन की दिलचस्पी को लेकर कई मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि ये एक गंभीर चेतावनी है कि भारत के पड़ोसियों में से एक ही देश बांग्लादेश सुरक्षित बचा था, लेकिन वो भी अब चीन के जाल में फंसता दिखाई दे रहा है। चीन की तरफ झुककर बांग्लादेश खुद को तबाही के रास्ते पर लेकर जा रहा है। निवेश और कर्ज का लालच देकर जिस तरह चीन ने पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल को फंसाया, अब वही हाल बांग्लादेश का हो सकता है।

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