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क्या चीन और दक्षिण कोरिया में बढ़ती नजदीकियां भारत और अमेरिका के लिए नई चुनौती हैं ?

China-South Korea Strategic Partnership 2025: चीन और दक्षिण कोरिया ने रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने के लिए पेइचिंग में उच्चस्तरीय वार्ता की। यह नजदीकी भारत और अमेरिका के लिए एशियाई राजनीति में नई चुनौती बन सकती है।

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भारत

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MI Zahir

Sep 18, 2025

China-South Korea Strategic Partnership 2025

चीन और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों ने वार्ता की। (फोटो: IANS.)

China-South Korea Strategic Partnership 2025: पेइचिंग में 17 सितंबर 2025 को हुई एक अहम कूटनीतिक बैठक में चीन और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों ने एशिया की राजनीति में एक नया मोड़ लाने के संकेत दिए हैं। चीनी विदेश मंत्री वांग यी और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ह्यून ( Cho hyun) के बीच हुई इस बातचीत (China South Korea relations 2025) में रणनीतिक साझेदारी, व्यापार सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। चीनी विदेश मंत्री वांग यी (Wang yi) ने कहा कि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने हाल ही में फोन पर बातचीत की, जिसमें यह सहमति बनी कि चीन-दक्षिण कोरिया रणनीतिक सहयोग को अगले स्तर पर ले जाया जाएगा। उन्होंने इस रिश्ते को “सच्चे मायने में रणनीतिक साझेदारी” बताया, जिसमें दोनों देश एक-दूसरे के पड़ोसी, मित्र और साझेदार बने रहें।

व्यापार और कूटनीति में साझेदारी गहरी करने की तैयारी

दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्री चो ह्यून ने कहा कि उनका देश चीन के साथ सभी स्तरों पर सहयोग को मजबूत करने को तैयार है। वह एपेक शिखर सम्मेलन के दौरान उच्च स्तरीय बातचीत को और बढ़ावा देना चाहते हैं। इसके साथ-साथ दोनों देशों के बीच आर्थिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भागीदारी को तेज़ करने की योजना है।

त्रिपक्षीय FTA वार्ता को भी रफ्तार (China South Korea trade deal)

इस बैठक में दक्षिण कोरिया-चीन-जापान मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर भी चर्चा हुई। चो ह्यून ने संकेत दिए कि वह इस वार्ता को गति देना चाहते हैं ताकि क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके। अगर यह समझौता सफल होता है तो यह पूर्वी एशिया में सबसे बड़ा आर्थिक ब्लॉक बन सकता है।

भारत और अमेरिका के लिए क्या हैं संकेत ? (US India strategic challenge Asia)

इस बढ़ती नजदीकी को भारत और अमेरिका की नजर से देखा जाए तो यह एक नया रणनीतिक संतुलन बना सकता है। भारत पहले से ही चीन की विस्तारवादी नीतियों से सतर्क है, वहीं अमेरिका इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने की कोशिश करता रहा है। दक्षिण कोरिया की चीन के साथ नजदीकी से अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति को भी चुनौती मिल सकती है।

रिश्तों में बदलाव का दौर ?

बहरहान यह कूटनीतिक घटनाक्रम एशिया में बदलती राजनीतिक हवा का संकेत है। अगर चीन और दक्षिण कोरिया का रिश्ता और गहरा होता है, तो भारत और अमेरिका को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ सकता है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि दक्षिण कोरिया की प्राथमिकता अमेरिका के साथ मजबूत रिश्ते रहती है या चीन के साथ नई साझेदारी को प्राथमिकता दी जाती है।

(इनपुट क्रेडिट: चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग व आईएएनएस.)