
INDIA -CHINA
जयपुर. लद्दाख के निकट वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब दो परमाणु संपन्न राष्ट्रों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प से सीमा विवाद फिर सुलग गया। भारत ने 20 जवान खोए हैं तो चीन के 45 से 50 के बीच सैनिक मारे गए। ठीक तीन वर्ष पहले जून 2017 में दोनों देशों के सैनिक डोकलाम में भिड़े थे। दोनों ही घटनाओं के कारण एक जैसे हैं। सरहदी इलाके में सडक़ निर्माण...। ये इलाके दुर्गम और कम आबादी वाले हैं। लिहाजा सेनाएं अपनी मोर्चाबंदी के लिए सडक़ निर्माण करती रहती हैं।
चीन का चरित्र हमेशा ही विवादित और विस्तारवादी रहा है। सैन्य क्षमता का इस्तेमाल नहीं करने वाले पुराने समझौते के बावजूद गलवान घाटी में हिंसा हुई। पाकिस्तान को छोड़ कोई भी पड़ोसी चीन को पसंद नहीं करता। उसने दक्षिणी चीन सागर के द्वीपों पर कब्जा कर सैन्य ठिकाने बना लिए, जिससे दक्षिण पूर्व एशियाई देश पहले ही उससे खफा हैं, लेकिन भारत दूसरे एशियाई देशों की तरह नहीं है, वह एक बड़ी क्षेत्रीय शक्ति है, जिसको लेकर चीनी नेतृत्व को समझना होगा।
क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बन रहा खतरा
भारत के दृष्टिकोण से चीन मुसीबत के सिवा कुछ नहीं रहा है। वह न केवल पाकिस्तानी सेना की मदद कर रहा है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी लगातार खतरा बना हुआ है। उसने हिंद महासागर में कदम बढ़ाए और नेपाल जैसे पड़ोसी से भारत के संबंधों को बिगाडऩे में भूमिका निभाई। लंबी सीमा के साथ वह हमेशा से ही तथ्यों से छेड़छाड़ करता रहा है। इस तरह के व्यवहार से उसने वर्षों से भारत की सामरिक स्वायत्तता को कम करने काम किया है। चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग व दूसरे चीनी नेताओं ने इंडो-पैसिफिक के पार फिलीपीन्स से ऑस्ट्रेलिया तक देशों को लालच देकर या धमकाकर अपने अधीन लाने के प्रयास किए। इसके साथ ही वह आर्थिक लाभ और सैन्य शक्ति को बढ़ाने की राह पर चल पड़ा। बीआरआइ प्रोजेक्ट भी इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
पड़ोसी देशों से चल रहा सीमा विवाद
नेपाल : चीन के मुताबिक, नेपाल तिब्बत का हिस्सा है और तिब्बत पर उसका कब्जा। इस हिसाब से यह चीन का हुआ।
अफगानिस्तान : 1963 में समझौते के बावजूद चीन अफगानिस्तान के बड़े भू-भाग पर आधिपत्य जताता है।
किर्गिस्तान : चीन का दावा है कि किर्गिस्तान के बड़े हिस्से को 19वीं सदी में उसने युद्ध में जीता था।
भूटान : चीन यहां सडक़ों का निर्माण कर रहा है। डोकलाम भी इसी क्षेत्र में है। भूटान को भारत का समर्थन है।
तजाकिस्तान : चीन के मुताबिक तजाकिस्तान पर चीन के किंग राजवंश (1644-1912) का शासन रहा है। इस लिहाज से तजाकिस्तान पर उसका हक बनता है।
ताइवान : ताइवान और हांगकांग के अलावा दक्षिण चीन सागर पर भी दावा करता है।
Updated on:
21 Jun 2020 01:53 pm
Published on:
21 Jun 2020 01:49 pm
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