Israel Iran war: ईरानी संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया है, जो वैश्विक तेल व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक मार्ग है। यह प्रस्ताव अब ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई के पास अंतिम निर्णय के लिए भेजा गया है। यह कदम ईरान-इजरायल तनाव और हाल के अमेरिकी हमलों के जवाब में उठाया गया है। यदि यह जलमार्ग बंद होता है, तो इसके वैश्विक तेल आपूर्ति और कच्चे तेल की कीमतों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं, जिसका असर भारत जैसे तेल आयातक देशों पर भी होगा।
होर्मुज जलडमरूमध्य, जो फारस की खाड़ी को अरब सागर और ओमान की खाड़ी से जोड़ता है, वैश्विक तेल व्यापार की जीवनरेखा है। इसके उत्तर में ईरान और दक्षिण में ओमान मौजूद है। यह जलसंधि 167 किमी लंबी और 33 से 60 किमी चौड़ी है।। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन के अनुसार, 2022 में इस मार्ग से प्रतिदिन औसतन 21 मिलियन बैरल तेल और तेल उत्पादों का परिवहन हुआ, जो वैश्विक कच्चे तेल व्यापार का लगभग 21% है।
बता दें कि ईरान लंबे समय से होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी देता रहा है। ईरान के प्रेस टीवी ने रविवार को कहा कि ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के बारे में अंतिम निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि संसद ने कथित तौर पर 'बंद' प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ईरानी सांसद और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कमांडर इस्माइल कोसरी ने पत्रकारों को बताया कि ऐसा करना एजेंडे में है और 'जब भी आवश्यक होगा, ऐसा किया जाएगा।'
अब सवाल ये है कि यदि होर्मुज जलसंधि बंद कर दिया जाएगा तो भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा। जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को हिंद महासागर से जोड़ता है । किसी भी तरह की नाकाबंदी से तेल की कीमतें बढ़ेंगी।
भारत के तेल आयात का दो तिहाई से ज़्यादा हिस्सा और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) आयात का लगभग आधा हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। Mint की रिपोर्ट के मुताबिक भारत हर दिन 5.5 मिलियन बैरल तेल की खपत करता है, जिसमें से 1.5 मिलियन बैरल जलमार्ग से होकर गुज़रता है।
विदेश मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "अगर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो भारत को निश्चित रूप से नुकसान होगा। दुनिया का करीब 20 फीसदी कच्चा तेल और 25 फीसदी प्राकृतिक गैस इन्हीं से होकर बहती है।" उन्होंने कहा कि भारत को नुकसान होगा क्योंकि तेल की कीमतें बढ़ेंगी, मुद्रास्फीति बढ़ेगी और एक अनुमान है कि कच्चे तेल की कीमत में प्रत्येक दस डॉलर की वृद्धि से भारत के सकल घरेलू उत्पाद को 0.5 प्रतिशत का नुकसान होगा।
Updated on:
22 Jun 2025 10:10 pm
Published on:
22 Jun 2025 09:09 pm