
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Photo-IANS)
डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) प्रशासन ने एच-1बी वीजा शुल्क को 1 लाख डॉलर करने के बाद अब चयन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया है। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने मंगलवार को नया मसौदा जारी कर बताया कि अब वीजा चयन में यादृच्छिक (रैंडम) लॉटरी पद्धति को समाप्त कर 'वेतन व कौशल आधारित' प्रणाली अपनाई जाएगी।
प्रस्तावित व्यवस्था में आवेदकों को उनके ऑक्यूपेशनल इंप्लॉयमेंट एंड वेज स्टैटिसटिक्स (ओईडब्ल्यूएस) वर्गीकरण के आधार पर प्राथमिकता मिलेगी। वेतन स्तर एक से चार तक तय होंगे, जिसमें लेवल चार आवेदक को चयन पूल में चार प्रविष्टियां और लेवल एक को एक प्रविष्टि मिलेगी।
हालांकि, हर आवेदक को संख्या गणना में केवल एक बार ही गिना जाएगा। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह सुधार नियोक्ताओं को बेहतर वेतन और अधिक योग्य उम्मीदवारों को चुनने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
डीएचएस का अनुमान है कि इस बदलाव से एच-1बी (H-1B Visa) कर्मचारियों की वार्षिक आय में पहले साल ही लगभग 502 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी होगी।
नई चयन प्रणाली छोटे संगठनों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है, खासकर उन संस्थाओं के लिए जो वेतन स्तर एक के कर्मचारियों की भर्ती करते हैं। प्रत्येक खाली पद पर इन्हें लगभग 85,006 डॉलर तक अतिरिक्त खर्च करने पड़ सकते हैं।
वहीं, उच्च वेतन वाले कर्मचारियों को नियुक्त करने वाले छोटे संगठनों की चयन संभावना पहले से बेहतर हो जाएगी। यह कदम ट्रंप प्रशासन की सख्त इमिग्रेशन नीति का हिस्सा माना जा रहा है।
अमेरिकी सरकार (Trump Administration) ने एच-1बी वीजा की फीस में भारी बढ़ोतरी की है, जिससे भारतीय आईटी कंपनियों और पेशेवरों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
नई फीस के अनुसार, अब अमेरिकी कंपनियों को प्रत्येक एच-1बी वीजा आवेदन के लिए लगभग 88 लाख रुपये (1 लाख डॉलर) का भुगतान करना होगा। यह बढ़ोतरी 21 सितंबर 2025 से लागू हो गई है।
अमेरिकी सरकार का मानना है कि एच-1बी वीजा कार्यक्रम का गलत इस्तेमाल हो रहा था, जिससे अमेरिकी कर्मचारियों के वेतन घट रहे थे और युवाओं को नौकरी से वंचित किया जा रहा था। इस बढ़ोतरी का उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों की बजाय अमेरिकी कर्मचारियों को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करना है
Published on:
24 Sept 2025 07:17 am
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