
गणेश चतुर्थी पर विदेशों में सजे धजे गणपति बप्पा। ( फोटो: X Handle 𝗗𝗿.𝗝𝗮𝘀𝗿𝗮𝗷 𝗣𝗿𝗮𝗷𝗮𝗽𝗮𝘁𝗶.)
Ganesh Chaturthi celebration india abroad: भगवान गणेश की पूजा अब एक वैश्विक परंपरा बन चुकी है। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025) सिर्फ भारत में ही नहीं, विदेशों में भी (Ganesh Chaturthi celebration outside India) धूमधाम से मनाई जाती है। प्रवासी भारतीय विदेशों में यह परंपरा निभाने में पीछे नहीं हैं। दुनिया के कई देशों में (Ganesh Chaturthi celebration india abroad) बसे प्रवासी भारतीय (NRI) और हिंदू बड़े हर्षोल्लास से यह त्योहार मनाते हैं। एक अनुमान के अनुसार दुनिया में कुल 3.5 करोड़ से ज्यादा भारतीय प्रवासी (NRI/PIO) हैं। इनमें से लगभग 1.35 करोड़ लोग हिंदू धर्म को मानते हैं। इनमें अमेरिका 55 लाख, यूएई में 35 लाख,मलेशिया में 29 लाख,कनाडा में 28 लाख,ब्रिटेन में 20 लाख और ऑस्ट्रेलिया 10 लाख हिंदू रहते हैं। भारतीय प्रवासियों ने बताया कि वे विदेश में रह कर भी अपना धर्म अपनी संस्कृति और अपनी परंपरा के अनुसार गणेश चतुर्थी मनाते हैं।
एनआरआई समुदाय ने बताया कि स्टावेंगर के भारतीय समाज का निर्माण समावेशिता, विविधता और समुदाय संलग्नता के सिद्धांतों पर हुआ है। यह भारत के विभिन्न हिस्सों और विविध धार्मिक पृष्ठभूमियों से व्यक्तियों से मिलकर भारतीय संस्कृति और परंपराओं के छत्र तले एकजुट होते हैं। मंदिर लोगों को एक मंच प्रदान करता है जहां वे अपनी सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाने और दूसरों को अपनी सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करने का मौका देते हैं। इसके अलावा नॉर्वे में भारतीय समुदाय ने अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के माध्यम से अपने देश से जुड़े रहने का एक तरीका खोज लिया है। देवालयम हिंदू मंदिर स्टावांगेर में क्षेत्र में भारतीय समुदाय की सभी सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों के लिए केंद्रीय बिंदु का काम करता है।
मॉरीशस में गणेश चतुर्थी को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। वहां भारतीय मूल के लोग बड़ी श्रद्धा से गणपति की मूर्ति स्थापित करते हैं, पूजा करते हैं और जल या समुद्र में विसर्जन करते हैं। मॉरीशस पहला देश है जहां गणेश चतुर्थी राष्ट्रीय छुट्टी बनी। दरअसल 1900 के दशक की शुरुआत में, मॉरीशस में बसे भारतीयों ने गणेश चतुर्थी मनाना शुरू किया। यह पहला देश था जिसने विदेश में गणेश चतुर्थी को औपचारिक मान्यता दी।
अमेरिका में भारतीय मूल के लोग न्यूयॉर्क, कैलिफोर्निया, टेक्सास जैसे राज्यों में भारतीय समुदाय मंदिरों और घरों में गणेश चतुर्थी मनाते हैं। कई जगहों पर शोभायात्रा, आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं।
कनाडा में टोरंटो, ओटावा, वैंकूवर और मिसिसॉगा जैसे शहरों में मंदिरों और भारतीय संगठनों द्वारा गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है। लोग अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए इस पर्व को खास बनाते हैं।
ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोग लंदन, मैनचेस्टर और लीसेस्टर जैसे शहरों में कई मंदिरों में बप्पा की स्थापना होती है। यहां कुछ जगहों पर ‘थे़म्स नदी’ में मूर्ति विसर्जन भी होता है।
इन दोनों देशों में गणेश चतुर्थी का पर्व खास तौर पर तमिल और मराठी समुदाय द्वारा मनाया जाता है। सिंगापुर के सेनपगा विनायक मंदिर और मलेशिया के क्लांग और कुआलालंपुर शहरों में कार्यक्रम होते हैं।
पेरिस (फ्रांस) में इंडियन कम्युनिटी की ओर से विशेष कार्यक्रम किए जाते हैं।
थाईलैंड में भगवान गणेश को "फ्रा फिकनत" कहा जाता है और यहां उनकी विशेष पूजा होती है।
बाली (इंडोनेशिया) में गणेश पूजा को स्थानीय परंपराओं के साथ मनाया जाता है।
उन्नीसवीं सदी के अंत से शुरुआत भारत से बाहर गणेश उत्सव की शुरुआत हुई। ब्रिटिश राज के दौरान कई भारतीय मजदूर मॉरिशस, फिजी, दक्षिण अफ्रीका, ट्रिनिडाड व सूरीनाम जैसे देशों में भेजे गए थे। वे अपने साथ हिंदू त्योहारों, खासकर गणेश चतुर्थी, होली और दीपावली भी ले गए। इन मजदूरों ने स्थानीय मंदिरों का निर्माण किया और समुदाय में पर्व मनाने की परंपरा शुरू की।
1900 के दशक के पहले दशक में गणेश चतुर्थी वहां के हिंदू मंदिरों और सामाजिक मंडलों में मनाई जाने लगी। कई जगहों पर स्थानीय लोगों ने भी बप्पा की पूजा में हिस्सा लेना शुरू किया।
जब 1960 और 70 के दशक में भारतीय छात्रों और पेशेवरों का पलायन बढ़ा, तब गणेश चतुर्थी का आयोजन घर पर या छोटे कम्युनिटी हॉल में शुरू हुआ। धीरे-धीरे समुदाय बढ़ा और आज वहां विशाल शोभायात्राएं, मंदिर कार्यक्रम और विसर्जन समारोह आयोजित किए जाते हैं।
इन देशों में बसे दक्षिण भारतीय समुदाय ने दशकों पहले गणेश चतुर्थी मनानी शुरू की। तमिल समुदाय के लिए यह पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों रूपों में अहम रहा है।
बहरहाल गणेश चतुर्थी आज सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रतीक बन गया है। अपने देश से से दूर रह कर भी भारतीय समुदाय परदेस में बप्पा को उसी श्रद्धा और भक्ति से पूजता है जैसे भारत में पूजता है। इससे यह साफ़ होता है कि "जहां बप्पा, वहां भारत"।
Updated on:
26 Aug 2025 07:59 pm
Published on:
26 Aug 2025 07:58 pm
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