
Budget 2025 NRI
Budget 2025 for NRIs : भारत के बजट 2025 से प्रवासी भारतीयों ( nri budget 2025 )को बहुत सी उम्मीदें हैं। इस बजट से निवेशकों को टैक्स दरों में राहत मिल सकती है। इन सुधारों से भारत में आर्थिक भागीदारी बढ़ाने और कर अनुपालन को सरल बनाने का उद्देश्य है। बजट में खासतौर पर 182 दिन के निवास नियम, प्रॉपर्टी की बिक्री पर टीडीएस और एनआरआई निवेशकों (NRI investors ) के लिए कर राहत पर विशेष ध्यान देने की उम्मीद (budget 2025 expectations) है। भारत में टैक्स दायित्व का निर्धारण मुख्य रूप से यह देखा जाता है कि कोई व्यक्ति भारत में 182 दिन से ज्यादा समय तक (nri 182 days rule) रहता है या नहीं। भारत में सन 2020 में लागू किए गए कठोर नियमों के बाद, एनआरआई के लिए यह प्रक्रिया जटिल हो गई थी (non-resident Indians taxation), खासकर उन प्रवासियों के लिए जो कामकाजी हैं या जिन्हें अक्सर विदेश जाना पड़ता है।
जानकारों का कहना है कि नई प्रत्यक्ष कर संहिता (New Direct Tax Code ) में संशोधन की संभावना है, जिससे 182 दिन के नियम सरल और सहज बनाने की कोशिश हो सकती है। खासकर, 120 दिन से लेकर 182 दिन तक रहने वाले और 15 लाख रुपये से कम आय अर्जित करने वाले एनआरआई के लिए कर दायित्व को फिर से परिभाषित किया जा सकता है। इससे एनआरआई के लिए कर अनुपालन को आसान बनाते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके योगदान बढ़ेगा
इकोनॉमिक लॉज़ प्रैक्टिस के पार्टनर राहुल चरखा कहते हैं, 182 दिन की सीमा को बहाल करने से एनआरआई के लिए कर अनुपालन आसान हो जाएगा, जिससे दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा और एनआरआई को भारत के आर्थिक ढांचे से जुड़ने में अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
एनआरआई जब भारत में संपत्ति बेचते हैं, तो टीडीएस (Tax Deducted at Source) की प्रक्रिया जटिल हो जाती है। भारत के मौजूदा कानूनों के तहत, 50 लाख रुपये से अधिक मूल्य की संपत्ति पर 1% टीडीएस कटौती होती है। अगर विक्रेता एनआरआई है, तो इस प्रक्रिया में खरीदार को टैक्स डिडक्टेड अकाउंट नंबर (TAN) प्राप्त करना, ई-टीडीएस रिटर्न दाखिल करना और कई अन्य जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।
यह समस्या हल करने के लिए, सरलीकरण की योजना पर विचार किया जा रहा है। यदि प्रक्रिया को सरल किया जाता है, तो फ़ॉर्म 26QB जैसा एकल चालान प्रस्तुत किया जा सकता है, जिससे खरीदारों के लिए अनुपालन आसान हो जाएगा और एनआरआई के लिए प्रॉपर्टी लेन-देन को बढ़ावा मिलेगा। उधर ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर अखिल चांदना का कहना है कि इस प्रकार के सुधार से प्रॉपर्टी लेन-देन में शामिल दोनों पक्षों के लिए प्रशासनिक बोझ कम होगा।
भारतीय वित्तीय बाजारों में एनआरआई की भागीदारी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। वर्तमान में एनआरआई को भारतीय इक्विटी और वायदा व विकल्प (F&O) ट्रेडिंग पर उच्च कर दरों का सामना करना पड़ता है। इससे न केवल उनके निवेश की आकर्षण क्षमता घटती है, बल्कि दीर्घकालिक निवेश की संभावना भी प्रभावित होती है।
टैक्सबडी के संस्थापक सुजीत बांगर के मुताबिक, एनआरआई के लिए कम कर दरें लागू करने से भारतीय वित्तीय बाजारों में अधिक निवेश आकर्षित हो सकता है, जिससे दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा। अगर बजट में ऐसी राहत दी जाती है, तो यह एनआरआई निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
प्रवासी भारतीय निवेशकों का मानना है कि टीडीएस अनुपालन में सुधार, निवास नियमों का संशोधन और एनआरआई निवेशकों के लिए टैक्स राहत जैसे उपाय भारत के वैश्विक भारतीय समुदाय के साथ संबंधों को मजबूत कर सकते हैं। इन सुधारों से न केवल एनआरआई के लिए कर अनुपालन आसान हो सकता है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था में उनका योगदान भी बढ़ेगा।
बजट विश्लेषकों का कहना है कि बजट 2025 में संभावित सुधार एनआरआई के लिए भारत के आर्थिक ढांचे से जुड़ने के अवसर बढ़ा सकते हैं। यह बजट खासकर उन प्रवासियों के लिए अहम होगा जो भारत में निवेश करने और टैक्स अनुपालन को सरल बनाना चाहते हैं। बजट 2025 के दौरान ये प्रमुख सुधार भारत के वित्तीय बाजारों में एनआरआई की भागीदारी को बढ़ावा दे सकते हैं और भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूत योगदान सुनिश्चित कर सकते हैं।
बहरहाल बजट 2025 में सरकार के सामने चुनौती है कि वह एनआरआई के लिए कर अनुपालन सरल बनाए और उनकी आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा दे। सरकार की ओर से प्रस्तावित प्रत्यक्ष कर संहिता (DTC) का उद्देश्य इन जटिलताओं को दूर करना है और एक अधिक समावेशी और निष्पक्ष कर व्यवस्था बनाना है। बजट 2025 एनआरआई के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हो सकता है, जो उन्हें भारत में अधिक निवेश और भागीदारी की ओर आकर्षित कर सकता है।
Updated on:
31 Jan 2025 11:19 am
Published on:
30 Jan 2025 02:05 pm
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