
India-Pakistan relations: भारत और पाकिस्तान के बीच पुरानी प्रतिद्वंद्विता ने दक्षिण एशिया में कूटनीतिक गतिशीलता को नया मोड़ दिया है। भारत ने अफगानिस्तान के तालिबान से संबंध स्थापित करने की कोशिश की है, जबकि पाकिस्तान (Pakistan) ने बांग्लादेश के नए नेतृत्व से अपने रिश्तों को मजबूत किया है। इस क्षेत्र में शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा और सहयोग की नयी दिशा सामने आ रही है। दरअसल भारत (India )और पाकिस्तान के बीच प्रतिद्वंद्विता रीजन के रिश्तों में बदलाव ला रही है (India-Pakistan relations), जिसमें नई दिल्ली अफगानिस्तान के तालिबान (Taliban) को लुभाने की कोशिश कर रहा है, जबकि इस्लामाबाद बांग्लादेश के नए नेताओं से दोस्ती कर रहा है। इस तरह बदलते हुए हालात में दक्षिण एशिया में कूटनीतिक संबंधों (diplomatic relations) का नया इतिहास रचा जा रहा है।
दक्षिण एशिया में कूटनीतिक गतिशीलता क्षेत्र के दो सबसे अधिक आबादी वाले देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव से रिश्ते प्रभवित हुए हैं। परमाणु-सशस्त्र भारत और पाकिस्तान - 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अराजक अंत में उप महाद्वीप से अलग हुए और उन्होंने कई युद्ध लड़े हैं और वे कट्टर दुश्मन बने हुए हैं। इस प्रतिद्वंद्विता में कमी आने का कोई संकेत नहीं है । जनवरी में नई दिल्ली ने इस बात से इनकार किया था कि उसने पाकिस्तानी धरती पर भारत विरोधी आतंकवादियों को मारने के लिए गुप्त अभियान शुरू किए हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आरोपों को खारिज करते हुए संवाददाताओं से कहा, "आप अपने पीछे सांप पाल सकते हैं और उनसे यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे केवल आपके पड़ोसियों को ही काटेंगे।"
गौरतलब है कि लगभग चार साल पहले काबुल में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते खराब हो गए हैं। वहीं इस्लामाबाद ने तालिबान अधिकारियों पर उन आतंकवादियों पर लगाम लगाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है, जो उनके अनुसार अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल कर के हमले कर रहे हैं, जिसमें हजारों पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं। उधर पाकिस्तान ने दिसंबर में अफगानिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में घातक हवाई हमले किए थे, जिसके बाद सीमा पार से गोलीबारी हुई थी।
वाशिंगटन में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय संबंध मामलों के प्रोफेसर हसन अब्बास ने बताया, "भारत लंबे समय से लगातार इस रास्ते पर चल रहा है।" उन्होंने कहा, "वे नहीं चाहते कि तालिबान किसी ऐसे समूह को जगह दे, जो आखिरकार भारत के लिए बड़ा खतरा बनने जा रहा है।" उन्होंने यह भी कहा कि "पाकिस्तान को परेशान करने" की संभावना भी नई दिल्ली के लिए उत्साहजनक है।
भारत के शीर्ष राजनयिक विक्रम मिस्री ने जनवरी में दुबई में तालिबान के विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्तकी से मुलाकात की थी। जायसवाल ने इस बैठक को अब तक की “सबसे उच्च स्तरीय सहभागिता” बताया। उनके मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि नई दिल्ली अफगानिस्तान के के साथ अपने दीर्घकालिक रिश्ते मजबूत करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। मुत्तकी ने बदले में रिश्ते आगे बढ़ाने के लिए उम्मीद जाहिर की है।
जायसवाल ने कहा कि बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि भारत व ईरान के चाबहार कंटेनर बंदरगाह के 370 मिलियन डॉलर के विकास को अफगानिस्तान में व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों को सपोर्ट करने के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि चाबहार पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के ठीक पश्चिम में है, जिसे पाकिस्तान में चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के बुनियादी ढांचे के विस्तार की आधारशिला माना जाता है। भारत लंबे समय से चीन के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव से चिंतित है और दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हाल ही में कूटनीतिक तनाव कम होने के बावजूद दक्षिण एशिया में प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। दरअसल तालिबान सरकार को आधिकारिक तौर पर मान्यता न देने के बावजूद, भारत अफगानिस्तान में पैर जमाए रखने का महत्व समझता है। यह कदम भारत की व्यापक क्षेत्रीय रणनीति के अनुरूप भी है, जिसका उद्देश्य चीन की बेल्ट एंड रोड पहल और पड़ोसी पाकिस्तान में इसके प्रभाव का मुकाबला करना है।
पाकिस्तान और बांग्लादेश कभी एक राष्ट्र थे, लेकिन 1971 के क्रूर युद्ध में विभाजित हो गए, जिसके बाद बांग्लादेश भारत के करीब आ गया। हालांकि, लंबे समय तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को अगस्त 2024 में एक क्रांति में अपदस्थ कर दिया गया, जिसके बाद वे हेलीकॉप्टर से अपने पुराने सहयोगी भारत के पास पहुंच गईं,बांग्लादेश की यूनुस सरकार का आरोप है कि उन्होंने सामूहिक हत्या सहित आरोपों का सामना करने के लिए ढाका के प्रत्यर्पण अनुरोधों की अवहेलना की है।
इधर भारत और बांग्लादेश की नई सरकार के बीच रिश्ते तब से ठंडे रहे हैं, जिससे इस्लामाबाद और ढाका धीरे-धीरे संबंधों को फिर से बनाने में सक्षम हुए हैं। कई दशकों में पाकिस्तान से सीधे बांग्लादेश जाने वाले पहले मालवाहक जहाज ने नवंबर में चटगांव बंदरगाह पर अपने कंटेनरों को सफलतापूर्वक उतार दिया था।
बांग्लादेश के अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस ने भी दिसंबर में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात कर कहा कि उन्होंने रिश्तों को मजबूत करने पर सहमति जताई है। बाद में बांग्लादेश के शीर्ष सैन्य कमांडरों ने पाकिस्तान का दौरा कर प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर चर्चा की और दोनों मुल्कों के बीच दोस्ताना रिश्तों की तारीफ की। ढाका विश्वविद्यालय की प्रोफेसर अमीना मोहसिन ने बताया कि यह अचानक आई नजदीकी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की सबसे पुरानी लीक की ओर इशारा कर रही है।
Updated on:
02 Feb 2025 06:40 pm
Published on:
02 Feb 2025 05:30 pm
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