India-Iran Israel diplomacy: इज़राइल और ईरान तनाव (Israel Iran conflict) के बीच भारत ने एक बार फिर यह साफ किया है कि वह पश्चिम एशिया में शांति (Middle East peace) बहाल करने में एक संतुलित और सक्रिय भूमिका निभा रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar)ने शनिवार को कहा कि भारत ने हाल के सप्ताहों में इज़राइल और ईरान के वरिष्ठ अधिकारियों से अलग-अलग बातचीत की है और दोनों पक्षों से संयम बरतने का अनुरोध किया है। दरअसल भारत की कूटनीतिक (India diplomacy) प्राथमिकता इस समय मध्य पूर्व क्षेत्र में तनाव टालना है, विशेषकर तब जब यह संकट वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और भारतीय प्रवासी समुदाय की सुरक्षा पर सीधा असर डाल सकता है। सूत्रों के मुताबिक, भारतीय राजनयिक बैकचैनल के ज़रिये भी दोनों देशों से संपर्क बनाए हुए है। ध्यान रहे कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Modi) ने भी शुक्रवार को इजराइल और ईरान से संयम बरतने के लिए कहा था और इस सिलसिले में नेतन्याहू ( Netanyahu) ने मोदी को फोन भी किया था।
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दोहराया कि भारत, इज़राइल और ईरान दोनों के साथ संवाद में है और उनकी सरकारों को लगातार संयम बरतने का आग्रह कर रहा है। भारत इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए सभी ज़रूरी प्रयास करने को तैयार है।
जयशंकर ने यह भी कहा कि पश्चिम एशिया भारत के लिए सिर्फ रणनीतिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां भारत का 80 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार होता है और लगभग 4.60 लाख भारतीय कामकाजी हैं।
सरकार ने इज़राइल-ईरान तनाव को लेकर गहरी चिंता जताई है और कहा है कि भारत किसी भी प्रकार की सैन्य वृद्धि के खिलाफ है। विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा, “क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।”
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर जानकारी देने के बाद, भारत ने फिर स्पष्ट किया कि वह किसी भी तरह की उथल-पुथल के पक्ष में नहीं है और यथाशीघ्र स्थिति सामान्य होनी चाहिए।
भारत की यह सक्रिय भूमिका बेहद समयोचित और प्रशंसनीय है। मध्य पूर्व में तनाव चरम पर है और भारत जैसे बड़े क्षेत्रीय खिलाड़ी का संयम और कूटनीतिक संवाद संकट को कम करने में अहम भूमिका निभा सकता है। विदेश मंत्री जयशंकर की यह पहल भारत की वैश्विक समझ और शांति चाहने वाली नीति का सुबूत है।
बहरहाल आने वाले हफ्तों में देखना होगा कि भारत की कूटनीतिक कोशिशें कैसे असर दिखाती हैं। क्या भारत यह तनाव कम करने में सफल हो पाएगा और क्या इज़राइल-ईरान के बीच बातचीत के द्वार खुलेंगे? साथ ही भारत के मध्य पूर्व में बढ़ते आर्थिक और रणनीतिक हितों पर भी इसका प्रभाव होगा।
भारत का यह संवाद केवल राजनीतिक स्थिरता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे 4.6 लाख भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा और अरब देशों के साथ 80 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को बचाए रखने की रणनीति भी है। यह दिखाता है कि भारत की विदेश नीति केवल राजनयिक मुद्दों तक ही सीमित नहीं, बल्कि व्यापक आर्थिक और सामाजिक हितों से जुड़ी है।
Updated on:
14 Jun 2025 06:11 pm
Published on:
14 Jun 2025 05:36 pm