
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3.51 अरब डॉलर बढ़ कर 694.23 अरब डॉलर हुआ। (फोटो: IANS.)
India forex reserves 2025: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के ताज़ा आंकड़ों (India forex reserves 2025)के मुताबिक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 29 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 3.51 अरब डॉलर (लगभग ₹29,230 करोड़) की बढ़त के साथ 694.23 अरब डॉलर (करीब ₹57.91 लाख करोड़) पर पहुँच गया है। डॉलर और सोने की बढ़ती होल्डिंग से रुपये को मजबूती मिलेगी और देश की अर्थव्यवस्था को संबल मिलेगा। यह भारतीय अर्थव्यवस्था(RBI foreign exchange data) की स्थिरता का संकेत देता है। जानकारी के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा, यानी विदेशी मुद्रा आस्तियां, इस सप्ताह 1.69 अरब डॉलर (लगभग ₹14,075 करोड़) बढ़कर 583.94 अरब डॉलर (करीब ₹48.78 लाख करोड़) पर पहुंच गई हैं। इसमें डॉलर के अलावा यूरो, येन और पाउंड जैसी अन्य मुद्राओं की विनिमय दरों में बदलाव का भी असर होता है। अब भारतीय रुपये (Rupee stability RBI) को मजबूती मिलेगी।
सोने के भंडार यानी गोल्ड रिजर्व में भी इस हफ्ते तेज़ी देखी गई है। यह 1.77 अरब डॉलर (लगभग ₹14,750 करोड़) बढ़ कर 86.77 अरब डॉलर (करीब ₹7.24 लाख करोड़) हो गया। यह दिखाता है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच, आरबीआई सुरक्षित निवेश के रूप में सोने पर ज्यादा भरोसा कर रहा है।
RBI के मुताबिक, विशेष आहरण अधिकार (SDR) का मूल्य 4 करोड़ डॉलर (लगभग ₹330 करोड़) बढ़कर 18.78 अरब डॉलर (करीब ₹1.57 लाख करोड़) हो गया है। यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से जुड़ा एक विशेष सुविधा भंडार होता है।
बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार से भारतीय रिज़र्व बैंक को यह ताकत मिलती है कि वह डॉलर की भारी बिकवाली करके रुपये की गिरावट को रोक सके। साथ ही मुद्रा बाजारों में स्थिरता बनाए रख सके।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारत का मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार इतना मज़बूत है कि यह 11 महीने तक के आयात खर्च और लगभग 96 प्रतिशत विदेशी कर्ज को कवर कर सकता है। यह आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का एक बड़ा संकेतक है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 में भारत का माल निर्यात 7.29% बढ़कर 37.24 अरब डॉलर (करीब ₹3.11 लाख करोड़) पर पहुंच गया, जबकि पिछले साल जुलाई में यह ₹2.90 लाख करोड़ था। यह भारत के बाह्य क्षेत्र की ताकत को दर्शाता है।
उधर वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि “वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद, भारत का सेवा और व्यापारिक निर्यात वैश्विक स्तर से कहीं बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।” यह विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि की एक बड़ी वजह है।
Published on:
05 Sept 2025 08:45 pm
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