
केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री और विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह। (फोटो : एएनआई)
India IUCN Congress: अबू धाबी की रेगिस्तानी धरती पर वैश्विक पर्यावरण की बहस गर्माई हुई है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (Kirti Vardhan Singh IUCN) की विश्व संरक्षण कांग्रेस 2025 (India IUCN Congress) में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने यहां भारत की राष्ट्रीय लाल सूची (National Red List India) की शुरुआत की घोषणा की, जो संकटग्रस्त प्रजातियों की निगरानी के लिए एक नया कदम है। यह पहल 2025-2030 की विजन पर आधारित है, जो जंतु सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (ZSI) और वनस्पति सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (BSI) ने IUCN के सहयोग से तैयार की है। सिंह ने कहा कि यह कदम जैव विविधता संधि (CBD) और कुनमिंग-मॉन्ट्रियल फ्रेमवर्क के तहत भारत की जिम्मेदारी को मजबूत करता है।
कांग्रेस में सिंह ने IUCN महानिदेशक डॉ. ग्रेथेल एगुइलर और अन्य मंत्रियों के साथ गहन चर्चा की। उन्होंने "प्रकृति का वादा: जलवायु और लोगों के लिए" नामक गोलमेज में हिस्सा लिया, जहां बेलेम समझौते से आगे की राह पर बात हुई। सिंह ने जोर दिया कि भारत एक सस्टेनेबल और हरित भविष्य के लिए वैश्विक साझेदारियों को मजबूत करने को तैयार है। यह चर्चा संरक्षण और जलवायु लक्ष्यों को जोड़ने पर केंद्रित रही, जो भारत की प्रतिबद्धता को दुनिया के सामने लाई।
IUCN अध्यक्ष रजान खलीफा अल मुबारक की मेजबानी में यह सत्र सामूहिक कार्रवाई पर फोकस कर रहा था। सिंह ने X पर पोस्ट कर कहा, "प्रकृति संरक्षण के साझा मिशन को आगे बढ़ाने पर रचनात्मक बातचीत हुई।" यह कदम भारत को ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित करता है।
भारत IUCN का राज्य सदस्य 1969 से है। देश सिर्फ 2.4% वैश्विक भूमि होने के बावजूद 7-8% ज्ञात प्रजातियों का घर है – 45,000 से ज़्यादा वनस्पति और 91,000 से ज़्यादा जीव- जंतुओं की प्रजातियां। विविध भू-आकृतियां जैसे हिमालय, पश्चिमी घाट, उत्तर-पूर्व और निकोबार द्वीप समूह – ये चार बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट्स भारत को जैव विविधता का खजाना बनाते हैं।
वन, आर्द्रभूमि, घास के मैदान, रेगिस्तान और समुद्री इकोसिस्टम यहां मानव कल्याण को बढ़ावा देते हैं। IUCN कांग्रेस के पांच मुख्य थीम हैं: लचीले संरक्षण को बढ़ावा, जलवायु जोखिम कम करना, समानता सुनिश्चित करना, प्रकृति-पॉजिटिव इकोनॉमी और सोसाइटी में बदलाव, तथा संरक्षण के लिए इनोवेटिव लीडरशिप। ये थीम वैश्विक चुनौतियों से निपटने का ब्लूप्रिंट हैं, और भारत इन्हें अपनाने को तत्पर है।
यह घोषणा सोशल मीडिया पर सराहनीय रही। X पर यूजर्स ने सिंह की पोस्ट को रीट्वीट कर कहा, "भारत का ग्रीन मिशन वर्ल्ड क्लास!" पर्यावरण कार्यकर्ता इसे "बायोडायवर्सिटी के लिए मील का पत्थर" बता रहे हैं। कुछ ने चिंता जताई कि रेड लिस्ट लागू करने में ग्रामीण समुदायों को शामिल करें। कुल मिलाकर, पॉजिटिव रिस्पॉन्स हावी है – #IUCN2025 ट्रेंड कर रहा है।
अब अगला कदम NRLA को रोलआउट करना है। 2025-2030 विजन के तहत प्रजातियों का आकलन शुरू होगा, जो CBD लक्ष्यों को पूरा करेगा। IUCN के साथ कोलैबोरेशन बढ़ेगा, और 2026 तक पहली फुल रेड लिस्ट आएगी। भारत अबू धाबी डिक्लेरेशन पर साइन कर सकता है, जो संरक्षण को गति देगा।
भारत की बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट्स क्लाइमेट चेंज से सबसे ज्यादा खतरे में हैं। रेड लिस्ट न सिर्फ संरक्षण करेगी, बल्कि इको-टूरिज्म और ग्रीन जॉब्स भी बढ़ाएगी। लेकिन चुनौती है – शहरीकरण और पॉल्यूशन से इकोसिस्टम को बचाना। क्या यह पहल हिमालयी ग्लेशियर पिघलने जैसी समस्याओं का हल देगी? ग्लोबल साउथ के लिए भारत मॉडल बन सकता है। (ANI)
Updated on:
10 Oct 2025 06:05 pm
Published on:
10 Oct 2025 04:06 pm
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