
Intercontinental Ballistic Missile ICBM its power countries Russia attack on Ukraine
Nuclear War: बीते गुरुवार को रूस ने यूक्रेन पर ICBM यानी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल दाग डाली। जिससे इस रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के और भीषण होने के संकेत मिल गए हैं। जानकार तो ये कह रहे हैं कि रूस ने यूक्रेन को जड़ से खत्म करने के लिए ही इतने खतरनाक हथियार से हमला किया है। साथ ही एक चिंता ये भी पैदा हो गई है कि जिस हथियार को आज तक किसी भी देश ने यूज नहीं किया उसका सबसे पहले इस्तेमाल रूस ने करके ये जता दिया है कि अब वो कभी भी परमाणु हमला (Nuclear Attack) भी कर सकता है और तो और, रूस की देखादेखी अब दूसरे देश भी इस मिसाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं जो इसकी क्षमता रखते हैं। हम आपको बता रहे हैं कि आखिर इस मिसाइल से क्य़ों पूरी दुनिया डरी हुई है, आखिर ये मिसाइल क्या है और कौन-कौन से देश इस मिसाइल की शक्ति से लैस हैं।
ICBM यानी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, (Intercontinental Ballistic Missile) जिसके नाम से ही पता चल रहा है कि ये एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक हमला कर सकती है। इसे परमाणु या पारंपरिक हथियार ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है। बैलिस्टिक मिसाइल का मतलब है कि ये मिसाइल लॉन्च के बाद एक निश्चित प्रक्षेपवक्र (trajectory) पर चलती है और अपने टारगेट तक पहुंचती है। यानी इसे प्रोजेक्ट करने के बाद ये अपने टारगेट को नष्ट करके ही दम लेती है। ये ICBM जमीन पर स्थिर लॉन्च प्लेटफॉर्म, मोबाइल लॉन्चर, पनडुब्बी (SLBM) या दूसरे प्लेटफॉर्म से भी लॉन्च की जा सकती है।
ICBM की रेंज लगभग 5,500 किमीसे 15,000 किमी तक हो सकती है। ये मिसाइल इतनी शक्तिशाली है कि ये दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक हमला कर सकती है। आधुनिक ICBM का टारगेट बहुत सटीक होता है। इनकी CEP (Circular Error Probable) यानी इनके टारगेट में गलतियां बहुत कम होती है। ये आमतौर पर 24,000 किमी/घंटा तक की गति से चलती हैं। आधुनिक ICBM एक से ज्यादा वॉरहेड्स ले जा सकती हैं, जिन्हें अलग-अलग टारगेट पर निर्देशित किया जाता है।
रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद एक सवाल ये भी पैदा हो गया है कि वो देश जिनके पास ये ICBM है, क्या वो भी अब कभी भी इस मिसाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल इन मिसाइल का इस्तेमाल का नतीजा काफी खतरनाक और विनाशकारी है। इसलिए देश तब तक इनका इस्तेमाल नहीं करते जब तक आत्मरक्षा का सारे उपाय खत्म नहीं हो जाते। वर्तमान में कुछ देशों के पास ICBM मिसाइल है जिसमें भारत भी शामिल हैं।
अमेरिका के पास Minuteman III, Trident II (पनडु्ब्बी आधारित) ICBM मिसाइल हैं। इनकी रेंज लगभग 13000 किमी है। ये उच्च तकनीक और MIRV सिस्टम (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल) से लैस हैं।
रूस के पास RS-28 Sarmat (Satan II), Topol-M, Yars नामक ICBM हैं, इनकी रेंज 10,000 से 16,000 किमी की है। इनके पास भारी हथियार क्षमता और अत्याधुनिक तकनीक है।
चीन के पास DF-5, DF-41 नामक ICBM हैं। इनकी रेंज 12,000-15,000 किमी है। ये पनडुब्बी आधारित प्रणाली से लैस हैं।
फ्रांस के पास M51 ICBM है जो कि पनडुब्बी आधारित सिस्टम पर चलती है। इसकी रेंज लगभग 10,000 किमी है। ये मुख्य रूप से परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता रखती है।
ब्रिटेन के पास अमेरिका के साथ साझा की जाने वाली मिसाइल Trident II है। इसकी रेंज 12000 किमी है। ये ICBM सिर्फ पनडुब्बी आधारित सिस्टम पर सिस्टम पर चलती है।
भारत के पास अग्नि-VI (विकासाधीन) और अग्नि-V नामक ICBM है। इसकी रेंज 5,000-8,000 किमी की है। ये स्वदेशी तकनीक पर आधारित है हालांकि इस पर MIRV का काम चल रहा है।
किम जोंग के उत्तर कोरिया के पास Hwasong-15, Hwasong-17 नामक ICBM हैं। इनकी संभावित रेंज लदभग 13,000 किमी है। उत्तर कोरिया ने हाल ही में ICBM का परीक्षण किया है लेकिन इसकी तकनीक पुरानी है।
इजरायल के पास भी ICBM है, हालांकि इजरायल ने खुद कभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स इजरायल के पास Jericho III नाम की ICBM का दावा करती हैं। इसकी संभावित रेंज 6,500 किमी की है। इसकी क्षमता का भी खुलासा नहीं हुआ है।
ICBM का इस्तेमाल परमाणु युद्ध छेड़ने के बराबर है। इसीलिए पूरी दुनिया रूस की इस हरकत पर टेंशन में आ गई है। क्योंकि ये पूरी मानवता के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। इसका असर केवल टारगेट किए गए देश पर ही नहीं बल्कि पूरे विश्व पर पड़ेगा, जैसे रेडिएशन, पर्यावरणीय संकट और बड़े पैमाने पर मौतें।
इतना ही नहींकिसी भी देश के ICBM के इस्तेमाल करने पर उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग कर दिया जाएगा जिससे उस देश का आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव इतना बड़ा हो सकता है कि खुद वो देश बर्बाद वो जाएगा। आज तक किसी भी देश ने इसका इस्तेमाल नहीं किया हालांकि इसके परीक्षण होते रहते हैं। कभी शक्ति प्रदर्शन के लिए तो कभी शक्ति के विकास के लिए।
Updated on:
22 Nov 2024 01:47 pm
Published on:
22 Nov 2024 11:39 am
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