
Mosque namaz
Islamic Country: भारत सरकार हमेशा फ़िलिस्तीनियों के पक्ष में खड़ी नजर आती है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी कई मंचों पर इस विषय पर साफ तौर पर अपना रुख दुनिया के सामने रख चुके हैं और दूसरी ओर इस मामले में इस्लामिक देश सऊदी अरब का रुख समझ में नहीं आ रहा है। उनके फैसले से संकेत मिलता है कि फिलिस्तीनी मुद्दा सऊदी अरब सरकार की प्राथमिकताओं में कम महत्वपूर्ण हो गया है, जो अब आंतरिक मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा है, 'फिलिस्तीनी मुद्दा मेरे लिए चिंता का विषय नहीं है। मुझे केवल अपने देश की परवाह है।”
इसी भावना के अनुरूप सऊदी सरकार ने मस्जिदों में फ़िलिस्तीन के लिए नमाज़ पढ़ने पर प्रतिबंध लगाया है। साथ ही देश में फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लगाने पर भी रोक लगा दी गई है। इस फैसले से संकेत मिलता है कि सऊदी सरकार की प्राथमिकताओं में फिलिस्तीन मुद्दा कम महत्वपूर्ण हो गया है, जो अब आंतरिक मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है। ये उपाय सऊदी अरब के भीतर धार्मिक और राजनीतिक भावनाओं में बदलाव को दर्शाते हैं, जिससे फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले सार्वजनिक अभियानों पर कड़े प्रतिबंध लग गए हैं।
वाकई यह खबर वाकई चौंकाने वाली है और सऊदी अरब के हालिया फैसले ने कई लोगों को हैरत में डाल दिया है। सऊदी अरब का यह कदम उस स्थिति को दर्शाता है, जहां देश अपने आंतरिक मुद्दों और विकास की ओर अधिक ध्यान दे रहा है, जबकि फिलिस्तीन मुद्दा उनकी प्राथमिकता में पीछे चला गया है। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का बयान इस बदलाव को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इस तरह के निर्णय न केवल राजनीतिक बल्कि धार्मिक भावनाओं पर भी असर डाल सकते हैं।
बहरहाल भारत की स्थिति फिलिस्तीन के प्रति समर्थन में स्पष्ट है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य इस्लामिक देशों और संगठनों का इस मामले पर क्या रुख होगा। सऊदी अरब का यह कदम इस बात का संकेत हो सकता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में बहुत बदलाव आ रहा है और इसका प्रभाव फिलिस्तीनियों के संघर्ष पर भी पड़ सकता है।
Updated on:
30 Sept 2024 11:44 am
Published on:
30 Sept 2024 11:41 am
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