
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के स्पीकर सरदार अयाज सादिक से हाथ मिलाते हुए। (फोटो: X Handle/ Roshan Rai)
Jaishankar Handshake: दुश्मनी लाख सही खत्म न कीजे रिश्ता, दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए। भारत के विदेश मंत्री जयशंकर और पाकिस्तान की संसद के स्पीकर के हाथ मिलाने (Jaishankar Handshake) पर मशहूर शायर निदा फाजली का यह शेर चरितार्थ हुआ। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी प्रमुख खालिदा जिया का 30 दिसंबर 2025 को निधन होने पर 31 दिसंबर को ढाका में जब उनका लाखों लोगों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार (Khaleda Zia Funeral) हुआ,तब यह नजारा दिखाई दिया। यह हाथ मिलाना शिष्टाचार तो है, लेकिन भारत-पाक रिश्ते पिघलने का संकेत नहीं है। दोनों देशों के बीच तनाव कायम है। खालिदा की मौत से बीएनपी एकजुट हुई है, जबकि अवामी लीग कमजोर हुई है। वहीं अल्पसंख्यक सुरक्षा बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
जयशंकर ने इसमें हिस्सा लिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शोक संदेश खालिदा के बेटे तारिक रहमान को सौंपा। उसी दौरान यह अहम पल आया जब जयशंकर ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के स्पीकर सरदार अयाज सादिक से हाथ मिलाया (Pakistan Speaker Meeting)और अभिवादन किया। यह मुलाकात मई 2025 के भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव (ऑपरेशन सिंदूर) के बाद दोनों देशों के उच्च अधिकारियों की पहली आमने-सामने की बैठक थी। बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने इसकी तस्वीरें शेयर कीं, जिसमें दोनों नेता मुस्कुराते हुए दिखे।
सूत्रों के अनुसार, जयशंकर ने आगे बढ़ कर अभिवादन किया, लेकिन यह सिर्फ शिष्टाचार था—कोई गहरी बातचीत नहीं हुई। यह अभिवादन महज शिष्टाचार का हिस्सा है। तनाव कायम है और बांग्लादेश के बदलाव से क्षेत्रीय समीकरण प्रभावित हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह राजनयिक शिष्टाचार दक्षिण एशिया में स्थिरता का संकेत देता है, लेकिन भारत-पाकिस्तान संबंधों में बड़ा बदलाव नहीं लाएगा। भारत का स्पष्ट रुख है कि बातचीत के लिए आतंकवाद-मुक्त वातावरण जरूरी है।
अतीत में देखें तो 2024 में बांग्लादेश में छात्रों का कोटा सुधार आंदोलन बड़ा हो गया, जो शेख हसीना सरकार के खिलाफ जन आक्रोश बन गया। जुलाई-अगस्त में हिंसा चरम पर पहुंची और सैकड़ों लोग मारे गए। 5 अगस्त 2024 को हसीना ने इस्तीफा दिया और भारत भाग गईं। इसके बाद मुहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के प्रमुख बने। नवंबर 2025 में हसीना को अनुपस्थिति में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई गई। इससे ढाका में कुछ प्रदर्शन हुए, लेकिन बड़े स्तर पर अशांति नहीं फैली। अंतरिम सरकार ने भारत से हसीना का प्रत्यर्पण मांगा।
यूनुस सरकार ने चुनाव सुधार, पुलिस और न्याय व्यवस्था में बदलाव पर ध्यान दिया। हालांकि, कट्टरपंथी ताकतों का दबाव बढ़ा और अल्पसंख्यकों पर हमले जारी रहे। फरवरी 2026 में चुनाव होने हैं, जिसमें बीएनपी मजबूत स्थिति में दिख रही है। हसीना के देश से जाने के बाद अगस्त 2024 से हिंदू समुदाय पर लक्षित हमले बढ़े। रिपोर्ट्स में सैकड़ों मंदिरों को नुकसान, घर जलाए जाने और संपत्तियों की लूट का जिक्र है। मुख्य घटनाएं ढाका, चटगांव और ग्रामीण इलाकों में हुईं। कारणों में राजनीतिक बदला और कट्टरपंथ का उभार शामिल है। अंतरिम सरकार ने कई मामलों में गिरफ्तारियां कीं और सभी समुदायों की सुरक्षा का वादा किया, लेकिन चुनौतियां बनी हुई हैं।
हसीना के भागने के बाद अवामी लीग समर्थकों पर हमले बढ़े, अल्पसंख्यकों (खासकर हिंदुओं) पर हिंसा। कानून-व्यवस्था बिगड़ी, लेकिन यूनुस सरकार ने सुधार आयोग गठित किए। यूनुस के कार्यभार संभालने के बाद: अंतरिम सरकार ने चुनाव सुधार, पुलिस-न्याय सुधार पर फोकस किया। लेकिन कट्टरपंथी दबाव बढ़ा, मीडिया पर हमले, अल्पसंख्यक हिंसा जारी। 2025 में कई सलाहकारों का इस्तीफा, यूनुस पर भी दबाव। फरवरी 2026 में चुनाव।
हसीना को नवंबर 2025 में सजा के बाद ढाका में प्रदर्शन, कुछ हिंसा। अंतरिम सरकार ने शांति की अपील की, भारत से प्रत्यर्पण मांगा। तारिक रहमान 17 साल लंदन निर्वासन के बाद 25 दिसंबर 2025 को ढाका लौटे। मां की बीमारी मुख्य कारण, लेकिन बीएनपी की चुनाव तैयारी भी। वापसी के बाद लाखों समर्थक सड़कों पर उतरे। खालिदा की मौत के बाद तारिक बीएनपी प्रमुख बने। उनकी वापसी से बीएनपी मजबूत हुई, 2026 चुनाव में प्रमुख दावेदार। देश में राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद, लेकिन कट्टरपंथ और हिंसा की चुनौतियां बरकरार। खालिदा जिया का निधन बांग्लादेश राजनीति के एक युग का अंत है। हसीना और खालिदा की प्रतिद्वंद्विता दशकों तक चली। अब यूनुस सरकार चुनाव कराने और स्थिरता लाने की कोशिश में है, जबकि देश क्षेत्रीय हालात पर नजर रखे हुए हैं।
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Updated on:
31 Dec 2025 08:38 pm
Published on:
31 Dec 2025 08:36 pm
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