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अंधेरे में लालग्रह : नासा का मंगल अभियानों से संपर्क टूटा, जानिए कौन-कौन से हैं अंतरराष्ट्रीय मिशन

अमरीका, यूरोप और चीनी अंतरिक्ष एजेंसियों का मंगल ग्रह पर भेजे अभियानों से अस्थायी रूप से संपर्क टूट गया है। मंगल अभी पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर है। माना जा रहा है कि यह स्थिति दो सप्ताह तक रह सकती है।

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शोधकर्ताओं का कहना है कि मोजावे रेगिस्तान और अंटार्कटिका में उगने वाली काई लाल ग्रह पर जीवन स्थापित करने में मदद कर सकती है

अमरीका, यूरोप और चीनी अंतरिक्ष एजेंसियों का मंगल ग्रह पर भेजे अभियानों से अस्थायी रूप से संपर्क टूट गया है। इसमें तीन रोवर्स, एक हेलिकॉप्टर और सात ऑर्बिटर हैं। खगोलविद इसकी मुख्य वजह मंगल का सौर संयोजन मान रहे हैं, जो 17/18 नवंबर को हुआ। इसमें लाल ग्रह सूर्य से पृथ्वी की विपरीत दिशा में होता है। इस स्थिति में मंगल, पृथ्वी से सबसे दूरस्थ बिंदु पर होता है, लगभग 37.6 करोड़ किलोमीटर दूर। नासा के अनुसार सौर संयोजन का प्रभाव एक सप्ताह तक रहता है।


रेडियो ब्लैकआउट में क्यों है मंगल

द प्लैनेट्स टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगल और पृथ्वी सूर्य के विपरीत दिशा में हैं। इसलिए मंगल और पृथ्वी की सर्वाधिक दूरी के साथ ही महत्वपूर्ण बात ये है कि सूर्य के कारण रेडियो सिग्नल बाधित होने से संचार मुश्किल हो जाता है। इसलिए मंगल के रोवर्स का संदेश भेजना असंभव नहीं, लेकिन सही मिल पाना मुश्किल होता है। इस दौरान अंतरिक्ष यान और रोवर्स गलत गणना या व्यवहार कर सकते हैं। इस बाधा का मूल कारण सूर्य का गर्म बाहरी वातावरण (कोरोना) है, जो अंतरिक्ष में हजारों मील तक फैला हुआ है। इसमें गर्म, आयनित गैस होती है, जो रेडियो सिग्नल्स में हस्तक्षेप करती है।

मंगल पर मौजूद अंतरराष्ट्रीय मिशन

-प्रिजरवेंस रोवरव इनजेनिटी हेलिकॉप्टर (नासा)
-क्यूरियोसिटी रोवर (नासा)
-जुरोंग रोवर (चीन)
-तियानवेन-1 ऑर्बिटर (चीन)
-एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर (यूरोपीय एजेंसी/रोस्कोस्मोस)
-मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर (यूरोपीय एजेंसी)
-मंगल टोही ऑर्बिटर (नासा)
-ओडिसी ऑर्बिटर (नासा)
-मावेन ऑर्बिटर (नासा)
-होप ऑर्बिटर (यूएई)

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