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पाकिस्तान को फिर एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट का डर सताया

पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने इस बात की आशंका जताई है कि उनका देश एक बार फिर एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट में लौट सकता है।

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भारत

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Tanay Mishra

Aug 25, 2025

Pakistan-FATF

Pakistan afraid of being placed on FATF's grey list again (Representational Photo)

पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने आशंका जताई है कि उनका देश फिर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में लौट सकता है। पाकिस्तानी वित्त मंत्री का यह बयान चिंताजनक है क्योंकि इससे देश की वित्तीय विश्वसनीयता को बड़ा झटका लग सकता है। औरंगजेब ने माना कि पाकिस्तान की करीब 15% आबादी की तरफ से बिना किसी जांच, नियम के डिजिटली वित्तीय लेनदेन किया जा रहा है। यह ग्रे-लिस्ट में जाने के लिए एक बड़ी वजह बन सकती है।

पाकिस्तान की वित्तीय विश्वसनीयता पर गंभीर खतरा

एक प्रोग्राम में औरंगजेब ने कहा कि देश की वित्तीय विश्वसनीयता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। अगर इस तरह की गतिविधि जारी रही, तो पाकिस्तान एक संप्रभु देश के रूप में फिर से संकट में पड़ जाएगा।

टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग असल वजह

पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने भले ही एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट में फिर से जाने के पीछे की वजह को देश की इकोनॉमी से जोड़ने की कोशिश की है, लेकिन असलियत ये है कि यह मामला आतंकियों को फंड पहुंचाने और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक आतंकियों को पैसा देने के लिए भारी पैमाने पर बिना किसी रेगुलेशन के फंड का ट्रांसफर किया जा रहा है, जिस वजह से पाकिस्तान को फिर से एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट में शामिल होने का डर सता रहा है।

कितने समय तक रहा है पाकिस्तान इस लिस्ट में?

पाकिस्तान, एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट में 10 साल और 8 महीने तक रहा है। सबसे पहले पाकिस्तान, 28 फरवरी 2008 को इस लिस्ट में शामिल हुआ था और जून 2011 तक इस लिस्ट में रहा। उसके बाद पाकिस्तान 16 फरवरी 2012 को फिर से इस लिस्ट में शामिल हो गया और फरवरी 2015 तक इस लिस्ट में रहा। तीसरी बार पाकिस्तान 28 जून 2018 को इस लिस्ट में शामिल हुआ और अक्टूबर 2022 तक इस लिस्ट में रहा। इस तरह से पाकिस्तान करीब 10 साल 8 महीने तक एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट में रहा।