
Baloch kids protesting (Photo - Mahrang Baloch's social media)
बलूचिस्तान (Balochistan) में चल रही उथल-पुथल किसी से भी छिपी नहीं है। पाकिस्तान (Pakistan) के लिए बलूचिस्तान गले की फांस बन चुका है। बलूचिस्तान के ज़्यादातर निवासी खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते। बलूचों के दिल और दिमाग में पाकिस्तानी सरकार और सेना के प्रति नफरत है। इससे मन में सवाल आना स्वाभाविक है कि इसकी क्या वजह है? दरअसल पाकिस्तानी सरकार की तरफ से बलूचिस्तान की उपेक्षा की जाती है। वहीं पाकिस्तानी सेना भी बलूचों पर अत्याचार करती है और उनके मानवाधिकारों का हनन करती है। इसी वजह से ज़्यादातर बलूच, पाकिस्तान से आज़ादी चाहते हैं। पाकिस्तानी सेना किस हद तक बलूचों पर अत्याचार करती है, इसका पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि सेना, आए दिन ही बलूच निवासियों को उनके घर से किडनैप कर लेती है। कभी-कभी तो उनकी हत्या भी कर दी जाती है।
मानवाधिकार संगठन 'पांक' की नवीनतम रिपोर्ट के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इसके अनुसार अप्रैल में बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने करीब 151 स्थानीय लोगों को किडनैप कर लिया। इतना ही नहीं, 23 बलूचों को बिना किसी गलती के मौत के घाट भी उतार दिया गया।
रिपोर्ट के अनुसार बलूचिस्तान के 18 जिलों में बलूचों को पाकिस्तानी सेना ने निशाना बनाया। पाकिस्तानी सेना की इस करतूत का मानवाधिकारों के कई संगठित और जानबूझकर उल्लंघनों का दस्तावेजीकरण भी किया गया है और सभी मामलों की पूरी तरह से पुष्टि की गई है।
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रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके अनुसार पाकिस्तानी सेना जिन बलूचों को किडनैप करती है, उन्हें अलग-अलग तरीके से टॉर्चर भी करती है। इनमें शारीरिक यातनाओं के साथ ही मानसिक यातनाएं भी शामिल हैं। काफी टॉर्चर के बाद जब बंधकों को रिहा किया जाता है, तो न सिर्फ मानसिक रूप से, बल्कि शारीरिक रूप से भी उन्हें कई परेशानियाँ हो जाती हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि बलूचों के खिलाफ पाकिस्तानी सेना की क्रूरता के लिए उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। इन मामलों में संलिप्त पाकिस्तानी सेना की कोई जवाबदेही भी नहीं होती। इस वजह से पीड़ितों और उनके परिवारों को कभी इंसाफ नहीं मिलता।
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Published on:
23 May 2025 11:46 am
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