इंसानी शरीर में जन्म से मृत्यु तक कई बदलाव होते रहते हैं। कई वर्षों से यह बहस का विषय रहा है कि क्या इंसान के बड़े होने पर भी दिमाग न्यूरॉन्स बना सकता है? क्या बुढ़ापे में भी इंसान के दिमाग में न्यूरॉन्स बनते हैं? जवाब है….हाँ। एक रिसर्च से इस बात का खुलासा हुआ है कि ऐसा संभव है। स्वीडन में कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में इस बात का खुलासा किया है कि वयस्क इंसान के दिमाग के हिप्पाकैंपस नाम के हिस्से में नए न्यूरॉन्स बनाने वाली कोशिकाएं बढ़ती रहती हैं।
हिप्पोकैंपस, दिमाग का वो हिस्सा है जो सीखने, याद रखने और भावनाओं को समझने में हमारी मदद करता है। यह दिमाग का काफी अहम हिस्सा है।
रिसर्च में बताया गया कि उम्र बढऩे के साथ हमारा मस्तिष्क कैसे विकसित होता है और इससे दिमाग से जुड़ी बीमारियों का इलाज ढूंढने में कैसे मदद मिल सकती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि उनकी रिसर्च ने लंबे समय से चली आ रही इस बहस को खत्म कर दिया कि क्या वयस्क मानव मस्तिष्क नए न्यूरॉन्स बना सकता है। बुढ़ापे में भी ऐसा होना संभव है।
यह भी पढ़ें- चीन को मंज़ूर नहीं कि यूक्रेन के खिलाफ रूस की हो हार
रिसर्च में वैज्ञानिकों ने 78 साल तक के लोगों के दिमाग के ऊतकों और चार लाख से ज्यादा कोशिकाओं के न्यूक्लियस का मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म के ज़रिए विश्लेषण किया। दो तरह से परीक्षण किए। एक में 14 वयस्क मस्तिष्क में से 9 में न्यूरॉन्स बनने के प्रमाण मिले, जबकि दूसरी विधि में 10 में से सभी 10 में न्यूरॉन्स बनने के संकेत मिले।
इंसानी दिमाग में बुढ़ापे में न्यूरॉन्स बनते हैं या नहीं, इस विषय पर चल रही बहस काफी पुरानी है। 1998 में भी कैंसर के मरीजों पर की गई रिसर्च में ऐसे ही नतीजे मिले थे। 2013 में इसी इंस्टीट्यूट ने रिसर्च में कहा था कि ये न्यूरॉन्स जीवन पर्यंत बनते हैं, लेकिन तब इस पर सहमति नहीं बन पाई थी। नई रिसर्च ने इसे पूरी तरह साबित कर दिया है।
Updated on:
05 Jul 2025 11:59 am
Published on:
05 Jul 2025 11:51 am