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अफगानिस्तान में आया जोरदार भूकंप, 9 लोगों की मौत, कई घायल, दिल्ली तक महसूस हुए झटके

अफगानिस्तान में देर रात जोरदार भूकंप आया। भूकंप के झटके दिल्ली में भी महसूस किए गए। डरे सहमे लोग घरों से निकले।

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Strong tremors of earthquake felt in Delhi

दिल्ली में महसूस हुए भूकंप के तेज झटके (फोटो-IANS)

अफगानिस्तान के दक्षिण पूर्वी इलाके में देर रात (1 सितंबर 00:47 बजे) भूकंप आया। भूकंप इतना तेज था कि इसके झटके भारत के कई हिस्से में भी महसूस किए गए। धरती हिलने पर दिल्ली-NCR में लोग घरों से निकले। उधर, अफगानिस्तान में भूकंप से जान-माल के नुकसान की भी खबर आई है। अफगान के नांगरहार जन स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता नकीबुल्लाह रहीमी ने मीडिया समूह रॉयटर्स को बताया कि भूकंप के चलते 9 लोगों की मौत हुई है, जबकि 15 लोग घायल हुए हैं। घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भूकंप का केंद्र जलालाबाद से 27 किलोमीटर पूर्व-उत्तरपूर्व में 8 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया है।

हिंदूकुश पर्वतीय इलाका भूकंप के लिए संवेदनशील

वैज्ञानिकों के अनुसार अफगानिस्तान का हिंदूकुश पर्वतीय इलाका भूकंप के लिए संवेदनशील है। यहां हर साल भूकंप आते रहते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि यहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेट्स मिसचे हैं। जिसके कारण एक फॉल्ट लाइन सीधे हेरात से होकर गुजरती है।

उन्होंने बताया कि पिछले महीने भी अफगानिस्तान के इस इलाके में भूकंप के कई झटके महसूस किए गए। 2 अगस्त को 5.5 तीव्रता का भूकंप भी इसी इलाके में आया। 6 अगस्त को इलाके में 4.2 तीव्रता का भूकंप आया। वैज्ञानिकों ने कहा कि सतही भूकंप, गहरे भूकंपों की तुलना में ज्यादा खतरनाक होते हैं, क्योंकि इनके झटके सतह तक कम दूरी में पहुंचते हैं। सतही भूंकप में जमीन पर ज्यादा कंपन होता है। इसके कारण इमारतों को नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है।

क्यों आते हैं भूकंप, एपिसेंटर किसे कहते हैं?

भूकंप तब आते हैं जब पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं, खिसकती हैं या फ्रैक्चर होती हैं। ये प्लेट्स पृथ्वी की ऊपरी परत में मौजूद होती हैं और इनके हिलने से ऊर्जा निकलती है, जो भूकंप के रूप में महसूस होती है। भूकंप का केंद्र, जहां से यह शुरू होता है, उसे 'एपिसेंटर' कहते हैं। भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल और मर्कल्ली स्केल का उपयोग होता है। रिक्टर स्केल भूकंप की ऊर्जा को 1 से 10 के पैमाने पर मापती है, जबकि मर्कल्ली स्केल इसके प्रभाव और नुकसान का आकलन करती है। सिस्मोग्राफ नामक उपकरण भूकंप की तरंगों को रिकॉर्ड करता है।