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ISRO SpaDeX Mission: पृथ्वी से चांद करीब 3,84,400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यही चांद वैज्ञानिकों के लिए रिसर्च के लिए बड़ा केंद्रबिंदु बन गया है। कई देश अभी भी चांद पर लैंडिंग के लिए प्रयास कर रहे है। वहीं अमेरिका, रूस, चीन और भारत ही ऐसे देश हैं, जिन्होंने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल रहे हैं। अब भारत ने एक और मिशन स्पैडेक्स को सफलतापूर्वक पूरा किया है। भारत अब डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बनने की ओर अग्रसर है। यह उपलब्धि भारत को अमेरिका, रूस और चीन की बराबरी पर ला खड़ा करेगी, जिन्होंने इस तकनीक में पहले ही सफलता प्राप्त कर ली है। यह मिशन अंतरिक्ष में ट्रैवल कर रहे दो स्पेसक्राफ्ट को आपस में जोड़ने के लिए है।
अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक (Space Docking Technology) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो अलग-अलग अंतरिक्ष यान, जो पृथ्वी की कक्षा या किसी अन्य खगोलीय पिंड के पास परिक्रमा कर रहे होते हैं, एक दूसरे से जुड़ते हैं। यह तकनीक अंतरिक्ष अभियानों में बेहद महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह कई उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करती है।
चांद की मिट्टी अंतिरक्ष में भविष्य की संभावनाओं को खोजने के लिए बहुत जरूरी है। अब तक कुछ ही देश हैं जो चांद से मिट्टी पृथ्वी तक ला चुक हैं, वे हैं- अमेरिका, रूस और चीन है। बता दें की चीन का मून मिशन चैंग'ई-6 चांद से उसकी मिट्टी लेकर लौटा था। यह मिट्टी चांद के सुदूर और अंधेरे हिस्से में मौजूद 4 अरब साल पुराने क्रेटर से निकाली गई थी। इससे पहले अमेरिका और रूस भी चांद से मिट्टी के सैंपल ला चुके हैं, लेकिन ये सैंपल चांद के नजदीक वाले हिस्से के थे। हालांकि, चीन चांद के ऐसे हिस्से से मिट्टी लाया था, जिसके बारे में काफी कम जानकारी है।
चांद पर भविष्य की संभावनाएं खोजने के लिए चांद की मिट्टी को पृथ्वी पर लाना वैज्ञानिकों की रिसर्च का अहम हिस्सा है। वैज्ञानिक लंबे समय से चांद पर पानी की तलाश कर रहे हैं। साथ ही वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि चांद पर कई तरह के खनिज पदार्थ भी मौजूद हैं। ऐसे में वैज्ञानिक चांद से मिट्टी के सैंपल लाकर पानी और खनिज की खोज कर रहे हैं।
Published on:
01 Jan 2025 04:08 pm
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