दोनों देशों के बीच करीब 2200 मील की सीमा है, जिसका ज्यादातर हिस्सा पर्वतीय है। दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर सहमति है, लेकिन चीन अक्सर इसे लांघता रहा है। मई के बाद चीनी सैनिकों ने लद्दाख में एलएसी पर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की। इस बीच अधिकारी स्तर की वार्ताओं के बाद यथास्थति पर सहमति बनी, लेकिन चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर पत्थर और नुकीले हथियारों से हमला कर दिया। भारत के 20 जवान शहीद हुए और चीन के भी काफी सैनिक मारे गए।
1962 में चीन ने भारत पर धोखे से हमला किया और एक महीने चले युद्ध में लगभग 4 हजार भारतीय सैनिक शहीद हुए। तब चीन ने तिब्बत के शरणार्थियों के समर्थन दलाई लामा को शरण देने पर बदले की भावना से यह हमला किया। पांच वर्ष बाद 1967 में जब भारत ने अरुणाचल प्रदेश में अपनी सीमा पर बाड़ लगाने का काम शुरू किया तो चीन ने भारतीय सैनिकों पर हमला किया। इसके बाद 1975 के बाद फिर झड़प हुई। इसके बाद शांति थी, लेकिन 2017 में भूटान सीमा डोकलाम में चीन ने सडक़ का विस्तार शुरू किया, जिसका भारत ने विरोध किया और आखिर दो माह बाद चीन को पीछे हटना पड़ा।
चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) के जरिए पड़ोसी देशों को साध रहा है। पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल में कई प्रॉजेक्ट जारी हैं। इसी प्रॉजेक्ट के तहत पीओके में आर्थिक गलियारे के निर्माण पर भारत ने आपत्ति जताई और पुरजोर विरोध किया। चीन, अमरीका के साथ बढ़ती भारत की निकटता से भी चिढ़ा हुआ है। इसके अलावा दलाई लामा को शरण देने पर कई बार अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुका है।
अमरीका के एक अधिकारी का कहना है कि हम मौजूदा हालात पर नजर बनाए हुए हैं और शांतिपूर्ण समाधान की अपेक्षा करते हैं। मई में डॉनल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश को ठुकरा कर चीन ने अमरीका के साथ अपने ट्रेडवार की कड़वाहट को और बढ़ा दिया। इससे पहले ट्रंप कोरोनावायरस प्रकोप के कारण चीन पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं।