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ट्रंप की वापसी के बाद अमेरिका की ताइवान के साथ इस डील से चीन तिलमिलाया: भारत पर क्या पड़ेगा असर

US Taiwan Arms Sale India Impact: ट्रंप की वापसी के बाद अमेरिका ने ताइवान को 330 मिलियन डॉलर के हथियार पार्ट्स बेचने की पहली मंजूरी दी ​है।

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भारत

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MI Zahir

Nov 14, 2025

US Taiwan Arms Sale India Impact

ट्रंप की वापसी के बाद अमेरिका की ताइवान के साथ हथियारों की डील। ( फोटो: X/ Intel Net.)

US Taiwan Arms Sale India Impact: अमेरिका ने डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के दूसरे कार्यकाल में पहली बार ताइवान को सैन्य मदद दे ही दी है। ध्यान रहे कि ट्रंप जनवरी 2025 में व्हाइट हाउस लौटे, तो ताइवान को अमेरिका से हथियार खरीदने (US Taiwan Arms Sale) की पहली मंजूरी मिल गई। पेंटागन ने 13 नवंबर को घोषणा की कि ताइवान को फाइटर जेट के स्पेयर पार्ट्स और मरम्मत उपकरणों के लिए 33 करोड़ डॉलर (करीब 2,800 करोड़ रुपये) का पैकेज (Trump Taiwan Deal) मंजूर हुआ है। यह F-16, C-130 और IDF विमानों के लिए जरूरी सामान है। इधर ताइवान के विदेश मंत्रालय ने इसे "नई शुरुआत" बताया है। वाशिंगटन ताइवान का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है, जो चीनी हमले (India China Tensions) से बचाव का मुख्य हथियार है। लेकिन ट्रंप की पुरानी बातों ने ताइपे में डर पैदा किया था कि कहीं अमेरिका चीन से ट्रेड डील के लिए ताइवान को "बेच" न दे। यह खबर न सिर्फ एशिया की सियासत हिला रही है, बल्कि भारत जैसे देशों के लिए भी नई उम्मीदें (Trump Foreign Policy) जगाती है।

ट्रंप-शी की मुलाकात के बाद यह फैसला क्यों ?

ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्टूबर में सियोल मुलाकात के बाद यह डील आई। वहां ट्रेड समझौते पर बात हुई, लेकिन ट्रंप ने कहा कि शी ने वादा किया है- "जब तक मैं राष्ट्रपति हूं, ताइवान पर हमला नहीं होगा।" फिर भी, अमेरिका ने साफ संकेत दिया कि ताइवान की सुरक्षा प्राथमिकता है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में ताइवान को 183 अरब डॉलर के हथियार बेचे गए, जो बाइडन के 84 अरब से दुगुने थे। अब ट्रंप इसे और बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, ताकि चीन की आक्रामकता रोकी जा सके।

भारत पर क्या बनेगा असर ? फायदे ज्यादा, लेकिन सावधानी जरूरी

भारत के लिए यह डील अच्छी खबर है। भारत और ताइवान दोनों चीन के पड़ोसी हैं, जो दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में घेराबंदी कर रहे हैं। अमेरिका का यह कदम इंडो-पैसिफिक रणनीति मजबूत करेगा, जहां भारत QUAD (अमेरिका, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया) का अहम सदस्य है।

भारत के लिए रास्ता साफ (Indo-Pacific Strategy)

भारत को अमेरिका से और हथियार मिलने का रास्ता साफ होगा। ट्रंप के साथ भारत की ट्रेड डील करीब है, जो 500 अरब डॉलर का लक्ष्य रखता है। लद्दाख या अरुणाचल में तनाव के समय, अमेरिका का ताइवान फोकस चीन को दो मोर्चों पर उलझाएगा। वहीं भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ सकते हैं, क्योंकि ताइवान जैसे दोस्त देशों से डील होगी।

भारत-अमेरिका रिश्तों को नई ऊंचाई देगा

अगर ट्रंप चीन से बहुत नरम पड़ गए, तो भारत अकेला पड़ सकता है। लेकिन फिलहाल, यह कदम भारत-अमेरिका रिश्तों को नई ऊंचाई देगा। विशेषज्ञ कहते हैं- "यह डील सिर्फ ताइवान की नहीं, पूरे एशिया की स्थिरता के लिए है।"

चीन चिढ़ गया, जापान खुश

चीन ने इसे "आंतरिक मामला" बता कर निंदा की। जापान ने कहा कि ताइवान पर हमला होने पर सेना भेज सकता है। ताइवान ने अमेरिका को धन्यवाद दिया, लेकिन चीनी विमानों के हवाई क्षेत्र उल्लंघन से सतर्क है।

"ट्रंप का यह कदम मास्टरस्ट्रोक! भारत को अब चीन से डरने की जरूरत नहीं। "@GeoPolExpert_IN

"अच्छा संकेत, लेकिन ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' पॉलिसी से भारत को सतर्क रहना होगा।" - @IndiaStrategic

ट्रंप का अगला कदम क्या ?

बहरहाल अब सवाल यह है कि क्या भारत को भी स्पेशल डिफेंस पैकेज मिलेगा ? ट्रंप की 'ट्रांजेक्शनल डिप्लोमेसी' में ताइवान डील ट्रेड वार की चाल है, लेकिन भारत के लिए यह QUAD को रिवाइव करने का मौका है। क्या यह LAC पर शांति लाएगा, या नया तनाव पैदा करेगा? एक्सपर्ट्स की राय है- " यह फायदेमंद है, लेकिन डिप्लोमेसी के साथ बैलेंस जरूरी है।"