
अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप आतंकियों के लिए खतरनाक मूड में। (फोटो: वॉशिंगटन पोस्ट, डिजाइन: पत्रिका)
Muslim Brotherhood Terrorist Designation: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) ने सोमवार को एक अहम कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत मुस्लिम ब्रदरहुड के कुछ चुनिंदा चैप्टर को विदेशी आतंकी संगठन (Foreign Terrorist Organization) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकी की श्रेणी में डाला जा रहा है। ध्यान देने वाली बात यह है कि मुस्लिम ब्रदरहुड (Muslim Brotherhood) की स्थापना 1928 में मिस्र में हुई थी। यह एक सुन्नी इस्लामवादी संगठन है, जिसने 2012 में मिस्र में सत्ता हासिल की थी। लेकिन 2013 में सेना के तख्तापलट में मोहम्मद मुर्सी की सरकार गिरा दी गई थी। तब से मिस्र, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात समेत कई अरब देश इसे आतंकी संगठन मानते हैं।
व्हाइट हाउस का कहना है कि यह कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि मुस्लिम ब्रदरहुड का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क आतंकवाद को बढ़ावा देता है और अमेरिका तथा उसके सहयोगियों के हितों को नुकसान पहुंचाता है। खास तौर पर जॉर्डन की ब्रांच का हमास से सीधा संबंध बताया जा रहा है। हमास ने ही 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर भयानक हमला किया था।
अमेरिका में मौजूद मुस्लिम ब्रदरहुड के इन चैप्टर्स की संपत्ति जब्त की जा सकेगी। इनकी जासूसी और सैन्य निगरानी आसान हो जाएगी। जो भी इनको आर्थिक या किसी भी तरह की मदद देगा, उसे कड़ी सजा मिल सकती है।
ट्रंप के पहले कार्यकाल में पूरी मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी घोषित करने की कोशिश हुई थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई थी। अब सिर्फ खास चैप्टर्स को निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि सभी चैप्टर एक ही छतरी के नीचे नहीं हैं। अगले 45 दिनों में विदेश मंत्री मार्को रूबियो और वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट सिफारिश करेंगे कि लेबनान, मिस्र और जॉर्डन की ब्रांच को सबसे पहले इस सूची में डाला जाए।
दिलचस्प बात यह है कि ठीक एक हफ्ते पहले टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबॉट ने राज्य स्तर पर मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी संगठन घोषित किया था। अमेरिकी संसद में भी गर्मियों में रिपब्लिकन सीनेटर टेड क्रूज और डेमोक्रेट सांसद जेरेड मोस्कोविट्ज ने मिल कर ऐसा ही बिल पेश किया था। यानि यह मुद्दा दोनों पार्टियों में समर्थन रखता है। मुस्लिम ब्रदरहुड की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इजरायल और खाड़ी देश इस फैसले से बहुत खुश हैं और इसे अपनी बड़ी जीत मान रहे हैं। दूसरी तरफ तुर्की और कतर नाराज हैं क्योंकि ये देश ब्रदरहुड को समर्थन देते रहे हैं। अमेरिका में कुछ मुस्लिम संगठन इसे इस्लामोफोबिया बता सकते हैं।
क्या यूरोपीय देश भी इसी राह पर चलेंगे?
45 दिन बाद आखिर कौन-कौन से चैप्टर लिस्ट में शामिल होंगे ?
क्या अमेरिका में मौजूद ब्रदरहुड से जुड़े एनजीओ और मदरसे प्रभावित होंगे?
वास्तव में यह फैसला सिर्फ आतंकवाद से जुड़ा हुआ नहीं है। यह मिडिल ईस्ट में अमेरिका की नई रणनीति का हिस्सा है। ट्रंप सऊदी अरब-इजरायल गठजोड़ को और मजबूत करना चाहते हैं और ईरान-कतर-तुर्की खेमे को कमजोर करना चाहते हैं।
(वॉशिंगटन पोस्ट का यह आलेख Patrika.com पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है।)
Updated on:
25 Nov 2025 05:39 pm
Published on:
25 Nov 2025 05:21 pm
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