UN Report: यूएन रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 5 सबसे कर्जदार देशों में भारत का नाम शामिल है। दुनिया की सरकारें बहुत ज्यादा कर्ज ले रही हैं और कई देश ब्याज पर पैसा खर्च कर रहे हैं। पिछले करीब डेढ़ दशक में वैश्विक सार्वजनिक ऋण (सरकारों द्वारा लिया गया घरेलू और बाहरी ऋण) में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। सन 2023 में यह 97 लाख करोड़ अमरीकी डॉलर तक पहुंची, जो 2022 की तुलना में 5.6 करोड़ अमरीकी डॉलर अधिक है।
गौरतलब है कि विकासशील देशों की कुल वैश्विक ऋण में हिस्सेदारी 30 प्रतिशत है, जबकि इन देशों की ऋण वृद्धि दर विकसित देशों की तुलना में दोगुनी है रिपोर्ट में नवीनतम आकलन में कहा गया है कि 2023 में विकासशील देशों ने ब्याज-भुगतान में 847 बिलियन अमरीकी डॉलर सिर्फ ब्याज पर खर्च किए, जो 2021 की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है। चिंता की बात यह है कि इन देशों के लिए ब्याज दर भी अमरीका की ब्याज दर से चार गुना अधिक है।
संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट, ए वर्ल्ड ऑफ डेब्ट 2024 : ए ग्रोइंग बर्डन टु ग्लोबल प्रोस्पेरिटी ( A Growing Burden to Global Prosperity) में कहा गया है कि सार्वजनिक ऋण का स्तर न केवल ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया है, बल्कि यह विकासशील और गरीब देशों में विकास पर होने वाले खर्च को भी खतरे में डाल रहा है। उदाहरण के लिए अफ्रीका में जहां ऋण तेजी से बढ़ रहा है, वहां 60 प्रतिशत से अधिक ऋण-जीडीपी अनुपात वाले देशों की संख्या 2013-2023 के दौरान 6 से बढ़कर 27 हो गई है। लगभग 27 अफ्रीकी देश केवल ऋण के ब्याज भुगतान के लिए सरकारी निधि का 10 प्रतिशत खर्च करते हैं।
इसका असर विकास पर होने वाले खर्च पर पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र के आकलन के अनुसार, वर्तमान में लगभग 3.3 अरब लोग ऐसे देशों में रहते हैं जहां ऋण के ब्याज का भुगतान शिक्षा या स्वास्थ्य पर खर्च से अधिक है। अफ्रीका में ब्याज पर प्रति व्यक्ति खर्च 70 अमरीकी डॉलर है, जो शिक्षा पर प्रति व्यक्ति खर्च 60 अमरीकी डॉलर और स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च 39 अमरीकी डॉलर से अधिक है। इतना ही नहीं, पिछले 10 सालों में विकासशील देशों का ब्याज पर भुगतान जहां 73 फीसदी बढ़ा है, वहीं स्वास्थ्य पर 58 और शिक्षा पर 38 फीसदी बढ़ा है।
सूचकांकः 2010 में सार्वजनिक ऋण का स्तर 100 माने जाने पर
350 विकासशील देश
300
250
200 विकासशील देश (चीन को निकाले जाने पर)
150
100 विकसित देश
2010 2012 2014 2016 2018 2020 2022
( स्रोत : संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट )
Updated on:
09 Jun 2024 02:43 pm
Published on:
09 Jun 2024 02:40 pm