
अवैध बुजुर्ग प्रवासी महिला (प्रतिकात्मक तस्वीर AI)
तीन दशक से अधिक समय अमेरिका में बिताने के बाद पंजाब की 73 वर्षीय हरजीत कौर को बीते दिनों अचानक भारत भेज दिया गया। परिवार से विदा कहने या अपना सामान लेने तक की अनुमति नहीं दी गई। सिख कोएलिशन ने इसे क्रूर और अनावश्यक कार्रवाई बताते हुए कहा कि यह केवल एक दादी की कहानी नहीं, बल्कि अमेरिका में लाखों प्रवासी परिवारों पर हो रहे व्यवस्थित अत्याचार का प्रतीक है। उनके निर्वासन के बाद कैलिफोर्निया में विरोध की लहर उठी। एल सोब्रांते में सैकड़ों लोग पोस्टर लेकर इकट्ठा हुए, जिनपर लिखा था, ‘हमारी दादी को मत छुओ’ और ‘हरजीत कौर यहीं की हैं’। कांग्रेस सदस्य जॉन गारामेंडी, सीनेटर जेसी अर्रगुइन और स्थानीय नेताओं ने भी आइसीई की कार्रवाई की निंदा की लेकिन कुछ काम नहीं आया।
वकील दीपक अहलुवालिया ने सोशल मीडिया पर बताया कि 23 सितंबर को हरजीत दिल्ली पहुंचीं। उन्हें बेकर्सफील्ड से लॉस एंजेलिस और फिर जॉर्जिया होते हुए चार्टर्ड फ्लाइट से नई दिल्ली भेजा गया। यात्रा के दौरान उन्हें लंबे समय तक बेड़ियों में रखा गया, नंगे कंक्रीट सेल में बंद किया गया और बुनियादी सुविधाएं नहीं दी गईं। कमर्शियल फ्लाइट और कुछ घंटे के लिए परिवार से मुलाकात का अनुरोध तक ठुकरा दिया गया।
हरजीत कौर 1992 में सिंगल मदर के रूप में अमेरिका आईं। उन्होंने भारतीय साड़ी स्टोर में सिलाई की, टैक्स भरा और गुरुद्वारों में सेवा की। उनका शरण आवेदन 2005 में खारिज हुआ, लेकिन उन्होंने 13 साल तक नियमों का पालन किया और वर्क परमिट नवीनीकरण कराती रहीं। 8 सितंबर को हरजीत नियमित चेक-इन के लिए सेन फ्रांसिस्को आइसीई दफ्तर गईं, तभी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। डिटेंशन सेंटरों में दो हफ्तों तक उन्हें दवाइयां भी सही समय पर नहीं मिलीं।
डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017–2021) में अमरीकी अधिकारियों ने लगभग 6,135 भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया। इस दौरान, 2019 में सबसे अधिक 2,042 भारतीयों को निर्वासित किया गया। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल (2025–2029) के पहले सात महीनों में 1,703 भारतीय नागरिकों को देश से निर्वासित किया गया है, जिनमें 141 महिलाएं भी शामिल हैं। इनमें से कई को बेड़िया लगाकर सैन्य विमानों से भी भेजा गया।
Updated on:
26 Sept 2025 07:04 am
Published on:
26 Sept 2025 07:03 am
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