
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो। ( फोटो: एएनआई .)
US India Strategic Partnership: डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump )की ओर से भारत पर अधिक टैरिफ लगाने के बाद उसके अधिकारी डेमेज कंट्रोल कर भारत (US India Strategic Partnership) को मनाने में जुटे हुए हैं। भारत में अमेरिकी दूतावास ने एक विशेष पोस्ट में कहा है कि अमेरिका और भारत के बीच का रिश्ता 21वीं सदी का "निर्णायक संबंध" है। दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए अपने संदेश में कहा कि यह साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है और नई ऊंचाइयों को छू रही है। इस पोस्ट में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो (Marco Rubio) के एक कथन को भी शामिल किया गया, जिसमें उन्होंने कहा (US Embassy India Statement): “भारत और अमेरिका के लोगों के बीच स्थायी मित्रता ही हमारे मजबूत सहयोग की नींव है। यही दोस्ती हमें भविष्य की ओर ले जाती है, खासकर जब हम दोनों देश अपनी आर्थिक संभावनाओं को साकार करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।”
अमेरिकी दूतावास की पोस्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि दोनों देशों के बीच सहयोग केवल रणनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि नवाचार, स्टार्टअप्स, रक्षा, तकनीक, और लोगों से जुड़ी साझेदारियों में भी तेजी से विकास हो रहा है। इस महीने अमेरिका "USIndiaFWDforOurPeople" अभियान के तहत भारत-अमेरिका सहयोग की कहानियों, लोगों और संभावनाओं को उजागर कर रहा है।
इस सकारात्मक बयान के बीच अमेरिका और भारत के बीच एक बड़ा व्यापारिक विवाद भी सुर्खियों में है। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग (CBP) ने 27 अगस्त से भारत के कुछ उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। डोनाल्ड ट्रंप, जो पहले भी भारत को "टैरिफ किंग" कह चुके हैं, ने इस फैसले के पीछे भारत के साथ व्यापार घाटा और रूस से तेल और हथियार खरीदने को मुख्य कारण बताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनकी सरकार छोटे किसानों, डेयरी व्यवसायियों और उद्यमियों के हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाएगी। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा कि सरकार अमेरिकी टैरिफ के असर का आकलन कर रही है और देश के हितों को प्राथमिकता दी जाएगी।
दोनों देशों के बीच मार्च 2025 से एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत चल रही है। इस समझौते का पहला चरण अक्टूबर-नवंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है। हालांकि, कृषि और डेयरी सेक्टर को विदेशी कंपनियों के लिए खोलने की अमेरिकी मांग को लेकर भारत अब भी सतर्क है।
भारत में अमेरिकी दूतावास के इस बयान पर राजनीतिक और व्यापारिक हलकों में मिलाजुला रुख देखने को मिला है। भारत सरकार ने इसे सकारात्मक संकेत के रूप में देखा है, जबकि विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया कि यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर मतभेद गहरे हो रहे हैं। कूटनीति विशेषज्ञों ने कहा कि यह बयान "ट्रेड टैंशन" को बैलेंस करने का अमेरिकी प्रयास हो सकता है।
इस बयान के बाद भारत और अमेरिका के बीच चल रही अंतरिम व्यापार समझौते (BTA) की बातचीत में गति आने की उम्मीद जताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार अक्टूबर-नवंबर तक पहले चरण को अंतिम रूप देने के लिए दोनों पक्ष अपने तकनीकी समूहों की बैठकें तेज़ करने जा रहे हैं। सरकार यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि कृषि और डेयरी सेक्टर में किसी तरह की जल्दबाज़ी न हो जो देश के छोटे व्यापारियों और किसानों पर असर डाले।
भारत-अमेरिका साझेदारी सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है। पिछले एक दशक में दोनों देशों के बीच रक्षा, तकनीकी अनुसंधान, साइबर सुरक्षा, और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भी मजबूत भागीदारी बनी है। विशेष रूप से QUAD, इंडो-पैसिफिक रणनीति और सेमीकंडक्टर सहयोग जैसे क्षेत्रों में गहराई से काम हो रहा है। यह भी चर्चा का विषय है कि क्या अमेरिका की यह "दोस्ती की पेशकश" चीन को रणनीतिक जवाब देने का हिस्सा है।
बहरहाल भारत और अमेरिका के रिश्ते भले ही प्रगाढ़ हो रहे हों, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर मतभेद भी बने हुए हैं। जहां एक ओर स्थायी दोस्ती की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर व्यापारिक मुद्दों पर मतभेदों का समाधान खोजना दोनों देशों के लिए जरूरी हो गया है।
Updated on:
01 Sept 2025 03:01 pm
Published on:
01 Sept 2025 03:00 pm
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