
Chabahar Port
अमेरिका (United States Of America) ने ईरान (iran) के चाबहार पोर्ट (Chabahar Port) के विकास और संचालन के लिए 2018 में जारी की गई प्रतिबंध छूट को खत्म करने का फैसला लिया है। 29 सितंबर से अमेरिका का यह फैसला प्रभाव में आ जाएगा। इस फैसले के प्रभाव में आने के बाद चाबहार पोर्ट के संचालन से जुड़े व्यक्ति या संस्थाओं को अमेरिकी-ईरान फ्रीडम एंड काउंटर-प्रोलिफरेशन एक्ट (IFCA) के तहत प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।
चाबहार पोर्ट, ईरान का एक रणनीतिक बंदरगाह है, जो ओमान की खाड़ी में स्थित है। यह भारत (India), ईरान और अफगानिस्तान (Afghanistan) के बीच व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत ने इस बंदरगाह के विकास में निवेश किया है, ताकि पाकिस्तान को बायपास करके सेंट्रल एशिया और अफगानिस्तान तक पहुंच आसान हो सके। चाबहार पोर्ट, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) का हिस्सा है, जो व्यापार और ऊर्जा परिवहन को सुगम बनाता है।
भारत ने 13 मई 2024 को ईरान के साथ चाबहार पोर्ट के शहीद बेहेश्ती टर्मिनल के संचालन के लिए 10 साल की लीज़ पर हस्ताक्षर किए थे। इस लीज़ के तहत भारत पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) करीब 1 हज़ार करोड़ का निवेश कर पोर्ट का विकास और संचालन करेगा।
भारत के लिए चाबहार पोर्ट बेहद उपयोगी है। भारत ने न सिर्फ इसके शहीद बेहेश्ती टर्मिनल के संचालन के लिए निवेश किया है, बल्कि इसके और ज़्यादा विकास के लिए करीब 2 हज़ार करोड़ का ऋण भी दिया है। चाबहार पोर्ट के ज़रिए भारत, बिना पाकिस्तान के रास्ते का इस्तेमाल किए सेंट्रल एशियाई देशों और अफगानिस्तान तक अपना सामान पहुंचा सकता है। साथ ही ज़रूरत पड़ने पर इन देशों से सामान मंगवा भी सकता है।
अमेरिका के अनुसार इस प्रतिबंध छूट को इसलिए खत्म किया गया है जिससे ईरान की सेना को फंडिंग न मिल सके। इसके अलावा अमेरिका का यह भी मानना है कि पहले चाबहार पोर्ट पर प्रतिबंध में इसलिए छूट दी गई थी जिससे अफगानिस्तान तक आसानी से सामान पहुंचाया जा सके, लेकिन अब अफगानिस्तान में तालिबान शासन होने की वजह से अमेरिका इस प्रतिबंध छूट को उपयोगी नहीं मानता। कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) इस फैसले के ज़रिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
चाबहार पोर्ट पर अमेरिका की तरफ से प्रतिबंध छूट को खत्म करने से आर्थिक रूप से ईरान को काफी नुकसान पहुंच सकता है। इसका असर ईरानी सेना पर भी पड़ेगा। वहीं अगर भारत को होने वाले नुकसान की बात करें, तो कई पहलुओं से इसे समझा जा सकता है। रणनीतिक पहलू से देखा जाए, तो चाबहार पोर्ट, चीन के प्रभाव वाले पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को टक्कर देने के लिए बेहद अहम है। यह पोर्ट सेंट्रल एशिया के संसाधन-समृद्ध देशों और रूस तक व्यापारिक गलियारों को मज़बूत करता है। प्रतिबंध छूट को खत्म करने से अब भारत को रणनीतिक रूप से नुकसान हो सकता है। आर्थिक पहलू पर गौर किया जाए, तो इस रास्ते से व्यापार करने वाली भारत की कई कंपनियों को अब अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। कूटनीतिक पहलू पर गौर करें, तो अब चाबहार पोर्ट पर प्रतिबंध छूट खत्म होने के बाद भारत को अमेरिका और ईरान के साथ अपने संबंधों में संतुलन बनाना पड़ेगा। वहीं क्षेत्रीय प्रभाव का पहलू देखा जाए, तो अमेरिका के इस फैसले से अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा परियोजना प्रभावित हो सकती है, जो 7,200 किलोमीटर लंबी है। ईरान ने इसके लिए 700 किलोमीटर लंबी रेल लाइन (चाबहार-जाहेदान) का विस्तार प्लान किया था, लेकिन अब अनिश्चितता बढ़ गई है।
Updated on:
19 Sept 2025 12:35 pm
Published on:
19 Sept 2025 12:31 pm
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