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अमेरिका ने ईरान पर दागे Bunker Buster Bomb, जमीन के 300 फुट नीचे तक करता है धमाका, जानें इसकी खासियत

Iran Israel War: बंकर बस्टर बम का दूसरा नाम GBU-57A/B Massive Ordnance Penetrator (MOP) है। इसका वजन 30,000 पाउंड यानी लगभग 14 हजार किलो होता है। इसमें करीब 6 हजार पाउंड विस्फोटक भरा होता है।

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अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर गिराए बंकर बस्टर बम

What is Bunker Buster Bomb: अमेरिका ने ईरान के नातांज, फोर्डो और इस्फहान जैसे तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला कर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। इस हमले में अमेरिका ने अपने सबसे घातक हथियारों में से एक – बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल किया। दावा है कि अमेरिका के B-2 स्टील्थ बॉम्बर विमानों से करीब 13,600 किलोग्राम (करीब दो हाथियों जितना) वजनी बम गिराए गए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद ट्रुथ सोशल पर इसकी जानकारी साझा की।

क्या है बंकर बस्टर बम?

बंकर बस्टर बम का असली नाम है – GBU-57A/B Massive Ordnance Penetrator (MOP)। इसका वजन करीब 30,000 पाउंड (लगभग 14 हजार किलोग्राम) होता है। इसमें 6 हजार पाउंड विस्फोटक भरा होता है। इसकी ताकत इतनी होती है कि यह 60 फीट मोटी कंक्रीट की दीवार को भेद सकता है और 200 फीट तक गहराई में जाकर धमाका कर सकता है।

300 फीट नीचे बंकर भी ध्वस्त

ईरान के जिन न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया गया, वहां जमीन के 150 से 300 फीट नीचे यूरेनियम संवर्धन का काम चल रहा था। ऐसे गहरे और मजबूत बंकरों को ध्वस्त करने के लिए ही इस खास किस्म के बम का निर्माण किया गया है।

यह भी पढ़ें- ईरान के न्यूक्लियर साइट को तबाह करने वाला अमेरिकी B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर विमान कितना पावरफुल है?

सिर्फ B-2 बॉम्बर ही ले सकता है इसे

इतना भारी और खतरनाक बम सिर्फ B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर से ही लॉन्च किया जा सकता है। एक B-2 विमान दो ऐसे बम ले जाने में सक्षम होता है। यह विमान रडार की पकड़ में नहीं आता, इसलिए दुश्मन को हमला होने तक भनक भी नहीं लगती।

क्यों खास है ये बम?

बंकर बस्टर बम उन ठिकानों को तबाह करने में सक्षम है, जो जमीन के अंदर खास सुरक्षा के साथ बनाए जाते हैं – जैसे परमाणु संयंत्र, हथियारों के भंडार या हाई लेवल सैन्य कमांड बंकर। यही वजह है कि अमेरिका ने ईरान जैसे रणनीतिक रूप से संवेदनशील देश के गहरे सैन्य अड्डों पर इसे इस्तेमाल किया। इस हमले के बाद यह साफ हो गया है कि युद्ध अब सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि जमीन के नीचे भी लड़ा और जीता जा रहा है।