
जलवायु वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क ने गुरुवार को कहा कि जानलेवा गर्मी की आशंका ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण 35 गुना ज्यादा हो गई है। विश्व मौसम एट्रिब्यूशन (WWA) ने मैक्सिको समेत कुछ इलाकों के अध्ययन के आधार पर ये बात कही। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वर्ष अब तक का सबसे गर्म वर्ष (Extreme Heat) रहा है और उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु (Summer Season) के आने से पहले ही विश्व के बड़े हिस्से में भीषण गर्मी पड़ने लगी। ग्रीस में अब तक की सबसे तेज शुरुआती गर्मी पड़ चुकी है, भारत में भी भीषण गर्मी कहर बरपाती रही।
वहीं, अमरीका जंगलों में लगी आग और भीषण गर्मी से जूझ रहा है। इस बीच, सऊदी अरब में वार्षिक हज यात्रा (Hajj 2024) के दौरान 90 भारतीयों समेत 1,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई। सोमवार को मक्का (Mecca) में तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।
अपनी स्टडी के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूए ने 'हीट डोम' के दौरान लगातार पांच सबसे गर्म दिन और रातों का विश्लेषण किया, जो मई के अंत और जून के आरंभ में दक्षिण-पश्चिमी अमरीका, मैक्सिको, ग्वाटेमाला, बेलीज, अल साल्वाडोर और होंडुरास में रहा। वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष दिया कि जीवाश्म ईंधन के जलने से मानव-प्रेरित गर्मी ने पांच दिवसीय अधिकतम तापमान की घटना को लगभग 1.4 डिग्री अधिक गर्म और जानलेवा गर्मी की आशंका को 35 गुना अधिक कर दिया है।
रेकॉर्ड तोड़ गर्मी के कारण हजारों लोग हीट स्ट्रोक से पीड़ित हो जाते हैं। यह स्थिति तब आती है जब शरीर को ठंडा रखने वाली आंतरिक शीतलन प्रणाली विफल होने लगती है। दूसरी ओर, विश्व में जीवाश्म ईंधनों का उपयोग जारी है तथा वातावरण में जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाली ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जारी है, इसलिए भविष्य में लाखों और लोगों के खतरनाक स्तर की गर्मी के संपर्क में आने की आशंका है।
डब्ल्यूडब्ल्यूए ने चेतावनी दी है कि यदि मानव निकट भविष्य में जीवाश्म ईंधन जलाना जारी रखेगा, तो ये चरम स्थितियां और भी अधिक बढ़ सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार उत्सर्जन को कम करने के साथ-साथ सरकारों और शहरों को गर्मी के प्रति अधिक संवदेनशील कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि बच्चे, बुजुर्ग और बाहर काम करने वाले लोग विशेष रूप से असुरक्षित होते हैं। अत्यधिक गर्मी से बिजली आपूर्ति की स्थिरता को भी खतरा होता है, जो स्वास्थ्य सुविधाओं के कामकाज के लिए महत्वपूर्ण है। WWA की रिसर्चर रेमन ने कहा कि संभवतः हम गर्मी से संबंधित मौतों की पूरी तस्वीर नहीं जानते हैं, क्योंकि आमतौर पर उनकी पुष्टि और रिपोर्ट घटना के महीनों बाद ही की जाती है, वह भी दर्ज होने पर ही।
Updated on:
22 Jun 2024 01:26 pm
Published on:
22 Jun 2024 10:44 am
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