कैसे हुआ इलाज?
डॉक्टरों ने स्टेम सेल का इस्तेमाल पहले महिला के ल्युकेमिया के इलाज के लिए किया था। डोनर आंशिक रूप से प्राप्तकर्ता से मेल खा रहा था। इस दौरान महिला को अस्थाई प्रतिरोधक क्षमता के लिए उसके एक करीबी ने ब्लड डोनेट किया था। इस ट्रायल में हिस्सा लेने वाली महिला की पहले कीमोथेरेपी की गई जिससे कैंसर सेल्स को खत्म किया जा सके। इसके बाद डॉक्टरों ने विशेष जनेटिक म्यूटैशन वाले व्यक्ति से Cord Blood Stem Cell लेकर उस महिला में ट्रांसप्लांट किया। इससे मरीज में एचआईवी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई।
इस महिला को स्टेमसेल एक ऐसी व्यक्ति ने डोनेट किया था जिसके अंदर एचआईवी वायरस के खिलाफ कुदरती प्रतिरोधक क्षमता थी। मध्य आयुवर्ग की यह महिला श्वेत-अश्वेत माता पिता की बेटी है।
डॉक्टरों ने स्टेम सेल का इस्तेमाल पहले महिला के ल्युकेमिया के इलाज के लिए किया था। डोनर आंशिक रूप से प्राप्तकर्ता से मेल खा रहा था। इस दौरान महिला को अस्थाई प्रतिरोधक क्षमता के लिए उसके एक करीबी ने ब्लड डोनेट किया था। इस ट्रायल में हिस्सा लेने वाली महिला की पहले कीमोथेरेपी की गई जिससे कैंसर सेल्स को खत्म किया जा सके। इसके बाद डॉक्टरों ने विशेष जनेटिक म्यूटैशन वाले व्यक्ति से Cord Blood Stem Cell लेकर उस महिला में ट्रांसप्लांट किया। इससे मरीज में एचआईवी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई।
इस महिला को स्टेमसेल एक ऐसी व्यक्ति ने डोनेट किया था जिसके अंदर एचआईवी वायरस के खिलाफ कुदरती प्रतिरोधक क्षमता थी। मध्य आयुवर्ग की यह महिला श्वेत-अश्वेत माता पिता की बेटी है।
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जीन थेरेपी भविष्य में एक बेहतर रणनीति होगी साबितहालांकि, अंतरराष्ट्रीय एड्स सोसाइटी की अध्यक्ष शैरन लेविन ने कहा कि एचआईवी से ग्रसित अधिकतर मरीजों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट के जरिए उचित इलाज हो ही आवश्यक नहीं है। ऐसे में जीन थेरेपी भविष्य में एक बेहतर रणनीति इसके इलाज के लिए साबित हो सकती है।
Cord Blood Stem Cell वयस्क स्टेम सेल की तुलना में आसानी से उपलब्ध है। इसका इस्तेमाल bone marrow ट्रांसप्लांट में किया जाता है जिससे पहले ही दो लोगों का इलाज किया जा चुका है। इसकी खास बात ये भी है कि इसमें डोनर और प्राप्तकर्ता के बीच निकटता की आवश्यकता नहीं होती।
इस शोध की रिपोर्ट डेनवर में हुई पेश
इस मामले को डेनवर में आयोजित Conference on Retroviruses and Opportunistic Infections में पेश किया गया था। शोधकर्ताओं ने बताया इस मामले में नए तरीके से इलाज किया गया है इससे अधिक लोगों को लाभ पहुंचेगा। इससे पहले दो और मरीजों को ठीक किया जा चुका है। एक मामला श्वेत पुरुष का था और दूसरा दक्षिण अमेरिकी मूल के एक पुरुष का था। इन दोनों रोगियों को भी स्टेमसेल ट्रांसप्लांट से ठीक किया था परंतु ये स्टेम सेल वयस्क लोगों से लिए गए थे।
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