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महज छह वर्ष की आयु में इस लूटकाण्ड के बाद बालक अटल का पड़ा अंग्रेजों से पाला, यह थाना है गवाह

बाल्य अवस्था से ही वह असाधारण रहे। जिस उम्र में बच्चे ठीक से चलना भी नहीं सीख पाते उस उम्र में अटल जी का वास्ता अंग्रेज सैनिकों से पड़ा था।

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आगरा

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Amit Sharma

Aug 16, 2018

Atal ji

महज छह वर्ष की आयु में इस लूटकाण्ड के बाद बालक अटल का पड़ा अंग्रेजों से पाला, यह थाना है गवाह

अमित शर्मा
amit.sharma4@in.patrika.com


आगरा।
पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के लिए इस समय देश में हर आम और खास दुआ कर रहा है। राजनैतिक कार्यालय, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरिजाघर तक अटल जी के लिए दुआओं का दौर जारी है। भारतीय राजनीति में इस लोकप्रियता और सम्मान को छूने वाला कोई दूसरा राजनेता दूर दूर तक नहीं दिखता है। हो भी क्यों न, अटल जी हैं ही इतने खास। बाल्य अवस्था से ही वह असाधारण रहे। जिस उम्र में बच्चे ठीक से चलना भी नहीं सीख पाते उस उम्र में अटल जी का वास्ता अंग्रेज सैनिकों से पड़ा था।

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लूट केस में हुई थी पूछताछ

वरिष्ठ पत्रकार शंकर देव तिवारी बताते हैं कि सन् 1932 में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान अटल जी के पैतृक गांव बटेश्वर में जंगलात (जिला परिषद मवेशी खाना) और बटेश्वर से तकरीबन तीन किलो मीटर की दूरी पर स्थित बिजकौली पोस्ट ऑफिस में लूट हुई थी। यह लूट ब्रिटिश हुकूमत को सीधी चुनौती जैसी थी। ब्रिटिश हुकूमत बौखला गई और इस लूट में शामिल लोगों की धरपकड़ के लिए अभियान शुरू किया गया। इसी तफ्तीश में बालक अटल का भी नाम आया।

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बाह थाने पर हुई थी पूछता
शंकर देव तिवारी बताते हैं कि जंगल में वन विभाग की कोठी थी उसी के पास यह लूट हुई थी। किसी ने अंग्रेजों को सूचना दी कि लूट के समय बालक अटल भी मौका ए वारदात के नजदीक था। फिर क्या था अंग्रेजों ने बालक अटल को बाह थाने बुला लिया और पूछताछ की। उस समय अटल जी की उम्र महज छह वर्ष थी। कहा तो यह भी जाता है कि अंग्रेजों ने उस समय अटल जी को नौ दिन तक बाल सुधार ग्रह आगरा में भी रखा था हालांकि इस बात के पुख्ता प्रमाण नहीं मिलते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि अटल जी से सिर्फ थाने पर पूछताछ हुई थी इसके बाद यह स्पष्ट हो गया था कि उनका इस लूट से कोई लेना देना नहीं था। अटल जी के परिवार के किसी बच्चे का मुंडन था इसलिए वह बाहर गए थे और खेलते खेलते बकरियों के पीछे-पीछे वन विभाग के ऑफिस तक जा पहुंचे थे।

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लगा था कलेक्टिव फाइन

लेकिन इतने भर से अंग्रेज संतुष्ट कहां होने वाले थे। अंग्रेजों ने बटेश्वर सहित छह गांवों में कलेक्टिव फाइन लगाया था। इन गांवों में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नाना का पिनाहट ब्लॉक स्थित गांव जोधापुरा भी शामिल था। इन साब बातों का अरबी भाषा में लिखित प्रमाणित दस्तावेज भी मौजूद है जिसका ट्रांसलेशन अटल जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद किया गया था।